1. चीन – 3.11 ट्रिलियन डॉलर
दुनिया की सबसे बड़ी विदेशी मुद्रा रखने वाला देश है चीन। 3.11 ट्रिलियन डॉलर के भंडार के साथ चीन कई सालों से इस सूची में नंबर 1 बना हुआ है। इसके पीछे प्रमुख कारण है चीन की भारी निर्यात व्यवस्था और अमेरिकी डॉलर में मजबूत पकड़।
2. जापान – 1.23 ट्रिलियन डॉलर
दूसरे नंबर पर है जापान, जिसकी अर्थव्यवस्था वैश्विक निवेश और तकनीक-आधारित है। जापान का 1.23 ट्रिलियन डॉलर का फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व उसे आर्थिक उतार-चढ़ाव से सुरक्षित बनाए रखता है।
3. स्विट्जरलैंड – 876 बिलियन डॉलर
स्विट्जरलैंड तीसरे स्थान पर है। 876 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ यह देश बैंकिंग और फाइनेंशियल हब के रूप में दुनिया में प्रतिष्ठित है।
4. भारत – 686.14 अरब डॉलर
भारत ने अपनी आर्थिक स्थिरता को और मजबूत करते हुए चौथा स्थान हासिल किया है। 686.14 अरब डॉलर के फॉरेन रिज़र्व के साथ भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह वैश्विक अनिश्चितताओं में भी टिके रहने की क्षमता रखता है।
5. रूस – 577 बिलियन डॉलर
रूस 577 बिलियन डॉलर के भंडार के साथ पांचवें पायदान पर है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने अपने फॉरेन रिज़र्व को मजबूत बनाए रखा है।
6. ताइवान – 564 बिलियन डॉलर
छठे स्थान पर है ताइवान, जिसके पास 564 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। इसकी टेक्नोलॉजी सेक्टर आधारित निर्यात अर्थव्यवस्था इसकी मजबूती की बड़ी वजह है।
7. सऊदी अरब – 427 बिलियन डॉलर
सऊदी अरब 427 बिलियन डॉलर के साथ सातवें स्थान पर है। पेट्रोलियम निर्यात से प्राप्त आय और सावधानीपूर्वक निवेश नीति इसके फॉरेन रिज़र्व को बनाए रखते हैं।
8. हॉन्गकॉन्ग – 427 बिलियन डॉलर
हॉन्गकॉन्ग भी 427 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ आठवें स्थान पर है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और फाइनेंशियल मार्केट में इसकी भूमिका इसे यह स्थान दिलाती है।
9. दक्षिण कोरिया – 418 बिलियन डॉलर
दक्षिण कोरिया 418 बिलियन डॉलर के साथ नौवें नंबर पर है। टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल निर्यात इसकी विदेशी मुद्रा की बड़ी ताकत है।
10. ब्राजील – 344 बिलियन डॉलर
ब्राजील इस सूची में दसवें स्थान पर है, जिसके पास 344 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। यह दक्षिण अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ रणनीतिक वित्तीय प्रबंधन का भी उदाहरण है।
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