राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा प्रस्तुत एजेंडा में बताया गया कि राज्य में रैयती और अन्य प्रकार की भूमि का नया अधिकार अभिलेख (खतियान) और भू-मानचित्र (नक्शा) तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में सामने आया कि मौजूदा नियमों में कुछ व्यावहारिक अड़चनें हैं, जिनसे 100% सटीकता में बाधा आ रही है।
नया क्या है?
नए नियमों के तहत अब खानापूरी दल को यह अधिकार दिया गया है कि वे मौखिक सहमति के आधार पर पहले से क्रियान्वित बदलैन (जमीन के बंटवारे या हस्तांतरण) को भी रिकॉर्ड का आधार मान सकेंगे। पहले केवल लिखित दस्तावेज या कानूनी प्रमाण ही मान्य होते थे, जिससे कई मामलों में वास्तविक स्थिति दर्ज नहीं हो पाती थी।
इस फैसले से सर्वेक्षण कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है, वहीं ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक तौर पर किए गए भूमि बंटवारे अब विधिवत दस्तावेजों में शामिल किए जा सकेंगे। इससे किसानों और आम नागरिकों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।
राज्य सरकार का उद्देश्य
सरकार का मानना है कि यह संशोधन भूमि विवादों को कम करने, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को सरल बनाने और डिजिटल रिकॉर्ड को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। साथ ही भूमि सुधार एवं डिजिटल इंडिया मिशन को भी यह नीति मजबूती प्रदान करेगी।
इस नई नियमावली को 2025 से पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। सरकार द्वारा जल्द ही इसके लिए जागरूकता अभियान भी शुरू किए जाने की संभावना है, ताकि ग्रामीण स्तर पर भी लोग इन नए प्रावधानों से अवगत हो सकें और जमीन सर्वे की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।
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