हाइपरसोनिक युग में भारत: ब्रह्मोस-2 और अग्नि-P की उड़ान!

नई दिल्ली: भारत अब मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में एक नए युग में प्रवेश कर रहा है — हाइपरसोनिक युग। देश की दो प्रमुख भविष्य की मिसाइलें, ब्रह्मोस-2 और अग्नि-प्राइम (Agni-P), न केवल रक्षा रणनीति को पुनर्परिभाषित कर रही हैं, बल्कि वैश्विक सैन्य शक्ति संतुलन में भी एक निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।

ब्रह्मोस-2: हाइपरसोनिक की रफ्तार से आगे

भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित की जा रही ब्रह्मोस-2 एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जो Mach 7 (करीब 8600 किमी/घंटा) तक की रफ्तार से उड़ान भर सकेगी। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है इसका स्क्रैमजेट इंजन, जो वातावरण से ऑक्सीजन लेकर बेहद तेज़ और कुशल उड़ान को संभव बनाता है।

मारक क्षमता: 600–1000 किमी

लॉन्च प्लेटफॉर्म: थल, जल और वायु – तीनों से संभव

स्थिति: अभी विकास चरण में, 2026 तक परीक्षण की उम्मीद।

अग्नि-प्राइम: नई पीढ़ी की सटीकता मौजूद

अग्नि मिसाइल श्रृंखला की अगली कड़ी, अग्नि-प्राइम एक अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 1000 से 2000 किमी के बीच है। यह पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है और इसमें कॉम्पोज़िट मोटर केसिंग, उन्नत गाइडेंस सिस्टम और मल्टीपल टारगेट एंगेजमेंट की क्षमता है।

वजन: पिछली अग्नि श्रृंखला से करीब 50% हल्की

प्लेटफॉर्म: मोबाइल लॉन्चर्स से तेजी से तैनाती संभव

अब तक इसके कई परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुके हैं, और सेना में इसे जल्द ही शामिल किए जाने की संभावना है। दोनों मिसाइलों की सफलता भारत को एक नई रणनीतिक ऊंचाई पर पहुंचा सकती है। जहाँ अग्नि-P भारत की थियेटर कमांड रणनीति को सशक्त करेगी, वहीं ब्रह्मोस-2 सर्जिकल स्ट्राइक और डिटरेंस मिशन में गेमचेंजर साबित हो सकती है।

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