बिहार में इन शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई, मचा हड़कंप

भोजपुर (बिहार):  शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही भोजपुर जिले में हड़कंप मच गया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना की जांच में सामने आया है कि दो शिक्षक—एक महिला और एक पुरुष—बीते कई वर्षों से फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे थे। इनमें से एक शिक्षिका पिछले 19 वर्षों से शाहपुर प्रखंड के एक विद्यालय में पदस्थापित थी, जबकि दूसरा शिक्षक 10 वर्षों से बड़हरा प्रखंड में कार्यरत था।

19 वर्षों से पढ़ा रही थी फर्जी शिक्षिका

ग्राम गंगापुर, पोस्ट दामोदरपुर (शाहपुर प्रखंड) निवासी कुमारी गीता सिंह वर्ष 2006 से पंचायत शिक्षिका के रूप में प्राथमिक विद्यालय मरचइया (लालू डेरा) में कार्यरत थीं। जांच के दौरान उनके द्वारा जमा किए गए मैट्रिक और इंटरमीडिएट के दस्तावेज फर्जी पाए गए। इस खुलासे के बाद निगरानी विभाग ने शाहपुर थाना में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।

10 साल से फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी

दूसरे मामले में, राकेश कुमार राय, जो उर्दू प्राथमिक विद्यालय झोखीपुर, बड़हरा में शिक्षक पद पर कार्यरत थे, ने वर्ष 2015 में नौकरी पाने के लिए यूपी बोर्ड के फर्जी सर्टिफिकेट जमा किए थे। जांच के क्रम में उनके दस्तावेज वाराणसी स्थित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजे गए, जहां से प्राप्त रिपोर्ट में उनके मैट्रिक और इंटर के प्रमाण पत्रों को फर्जी बताया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की ओर से कृष्णगढ़ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

लगातार सामने आ रहे हैं फर्जीवाड़े

भोजपुर जिले में ऐसे मामले अब लगातार सामने आ रहे हैं, जो शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं। कई वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षक बनकर हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया, जो बेहद चिंताजनक है।

आगे की कार्रवाई की तैयारी

निगरानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों की जांच तेज़ की जा रही है और अन्य शिक्षकों के दस्तावेजों की भी गहनता से जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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