सर्वे 2025: बिहार में ‘बदलैन’ जमीन को मिली मान्यता

पटना। बिहार सरकार ने राज्य में भूमि सर्वेक्षण और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘बदलैन’ जमीन को कानूनी मान्यता देने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के तहत पहले से की गई भूमि अदला-बदली को अब मौखिक सहमति के आधार पर मान्यता दी जाएगी। इस कदम से राज्य के भूमि रिकॉर्ड को और अधिक पारदर्शी, सटीक और समयबद्ध बनाने में मदद मिलेगी।

‘बदलैन’ जमीन को मिली मान्यता

मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त (संशोधन) नियमावली, 2025 को लागू किया गया है, जिसके तहत बदलैन (अदला-बदली) जमीन को कानूनी मान्यता दी जा रही है। अब तक, रैयतों ने मौखिक सहमति पर अपनी भूमि को एक-दूसरे के बीच बदला था, लेकिन सर्वेक्षण में यह पाया गया कि इस प्रक्रिया को भी कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए, ताकि भूमि रिकॉर्ड सही और पारदर्शी तरीके से अपडेट किया जा सके।

डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि राज्य में बिहार विशेष सर्वेक्षण और बंदोबस्त अधिनियम, 2011 के तहत रैयती और अन्य प्रकार की जमीन के नए रिकॉर्ड (खतियान) और नक्शे तैयार किए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता महसूस की गई थी, ताकि भूमि के मामलों में सुधार तेजी से हो सके और आम जनता को लाभ मिल सके।

नई सर्वेक्षण प्रक्रिया और नियमावली में संशोधन

बिहार सरकार ने बिहार विशेष सर्वेक्षण और बंदोबस्त नियमावली, 2012 में संशोधन करते हुए ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त (संशोधन) नियमावली, 2025’ को मंजूरी दी। इसके बाद, मौखिक सहमति के आधार पर पहले से किए गए बदलैन को अब मान्यता दी जाएगी। यह कदम भूमि विवादों के समाधान और राजस्व सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इसके साथ ही, राजस्व और भूमि सुधार विभाग की विभिन्न ऑनलाइन सेवाएं जैसे दाखिल-खारिज, ऑनलाइन सुधार, भूमि लगान, भूमि दखल-कब्जा प्रमाण पत्र, और राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को और अधिक उन्नत बनाने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस बदलाव से इन सेवाओं की गति और गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे रैयतों को सीधे लाभ मिलेगा।

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