यूपी सरकार की बड़ी पहल: खतौनी अंश सुधार की नई व्यवस्था लागू!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने खतौनी अंश सुधार की प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक नई ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की है। उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने 'भूलेख खतौनी अंश सुधार' पोर्टल के माध्यम से किसानों को अपनी खतौनी में दर्ज त्रुटियों को सुधारने का एक सहज और डिजिटल तरीका प्रदान किया है। यह नई व्यवस्था किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, क्योंकि अब उन्हें अपने भूमि रिकॉर्ड में सुधार के लिए कागजी कार्रवाई और विभागीय दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे।

ऑनलाइन के माध्यम से होगा अंश सुधार

नई व्यवस्था के तहत, किसानों को अब अपनी खतौनी में त्रुटिपूर्ण अंश सुधार के लिए राजस्व परिषद की वेबसाइट bor.up.nic.in पर 'भूलेख खतौनी अंश सुधार' पोर्टल पर आवेदन करना होगा। यह पोर्टल किसानों को एक सीधे और डिजिटल माध्यम से अपने अंश सुधार के लिए आवेदन करने की सुविधा देता है। अब, किसानों को अपने भूमि रिकॉर्ड से संबंधित कोई भी गलती सुधारने के लिए लंबी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ेगा।

नई प्रक्रिया में क्या बदलाव आएगा?

1 .लेखपाल द्वारा त्रुटि का संज्ञान: अब, यदि लेखपाल को किसी खतौनी में अंश की त्रुटि का पता चलता है, तो वह उस मामले को तुरंत पोर्टल पर दर्ज करेगा।

2 .स्थलीय और अभिलेखीय जांच: इसके बाद, लेखपाल द्वारा स्थलीय और अभिलेखीय जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो सुधार किया जा रहा है वह सही है।

3 .सहमति प्रपत्र और दस्तावेज़: सभी सह-खातेदारों से सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर या अंगूठा निशान लिया जाएगा, जिससे सभी पक्षों की सहमति सुनिश्चित हो सके।

4 .राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार की जांच: इसके बाद, राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार द्वारा जांच की जाएगी, और तभी खतौनी में सुधार किया जाएगा।

इस व्यवस्था के लागू होने से किसानों को कई फायदे:

1 .तेज और पारदर्शी प्रक्रिया: अब सभी कार्य ऑनलाइन होंगे, जिससे पूरी प्रक्रिया अधिक तेज और पारदर्शी होगी। इससे किसानों को समय पर सुधार मिल सकेगा।

2 .ऑनलाइन आवेदन और ट्रैकिंग: किसानों को अब अपने आवेदन की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा मिलेगी। इससे वे प्रक्रिया के हर चरण के बारे में जानकारी रख सकेंगे।

3 .कम होगी कागजी कार्रवाई: लेखपाल और अन्य अधिकारियों की जांच के बाद, अब कागजी कार्यवाहियां भी डिजिटल रूप से की जाएंगी, जिससे कागजों की बर्बादी कम होगी और पूरी प्रक्रिया सरल होगी।

4 .दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं: किसान अब घर बैठे ही अपनी समस्या का समाधान पा सकेंगे, उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

0 comments:

Post a Comment