तेजस मार्क-2: एक उन्नत और शक्तिशाली जेट
तेजस मार्क-2 मध्यम वजन वाला एयरक्राफ्ट है, जो भारतीय वायुसेना की विविध और जटिल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इसकी लंबाई 14.6 मीटर और ऊंचाई 8.5 मीटर होगी। इसका विंगस्पैन तेजस से थोड़ा कम रहेगा, लेकिन इसकी रेंज 3,500 किलोमीटर तक होगी, जिससे यह लंबी दूरी तक मिशन पूरा कर सकता है। तेजस मार्क-2 की अधिकतम रफ्तार लगभग 2,300 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो इसे किसी भी हवाई मुकाबले में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाती है।
तेजस मार्क-2 की खासियत यह है कि यह 6.5 टन तक का पेलोड वहन कर सकता है। इसमें Spice-2000, Scalp और Crystal Maze जैसे अत्याधुनिक वेपन सिस्टम होंगे। इसके अलावा, एयर-टू-एयर कॉम्बैट के लिए इसमें अस्त्र मार्क-1 और अस्त्र मार्क-2 मिसाइलें भी होंगी। इन मिसाइलों के जरिए तेजस Mk-2 को एयर-सुपीरियॉरिटी और सटीक हमले की क्षमता मिलेगी।
राफेल से तुलना: तेजस मार्क-2 क्या सच में बेहतर है?
तेजस मार्क-2 की तुलना अक्सर फ्रांस के राफेल और अमेरिका के F-16 से की जाती है, और यह स्वाभाविक भी है। राफेल भी एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जैसे तेजस Mk-2। राफेल की लंबाई 15.27 मीटर और विंगस्पैन 10.8 मीटर है। इसका ईंधन क्षमता 4,700 किलोग्राम है, और इसकी कॉम्बैट रेंज 3,700 किलोमीटर है। राफेल की अधिकतम रफ्तार 2,000 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो तेजस Mk-2 से थोड़ी कम है।
जहां तक हमले की क्षमताओं की बात करें, तो राफेल में Meteor, Hammer और Mica जैसी मिसाइलें शामिल हैं, जो इसे एक घातक लड़ाकू विमान बनाती हैं। हालांकि, तेजस Mk-2 का रेंज और पेलोड क्षमता राफेल से थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन इसमें जो स्वदेशी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह भारत को एक नई ताकत प्रदान करता है।
क्या तेजस Mk-2 भारत का राफेल बन सकता है?
हालांकि तेजस Mk-2 में कई विशेषताएँ हैं जो उसे राफेल से प्रतिस्पर्धा करने के लायक बनाती हैं, लेकिन यह कहना कि तेजस पूरी तरह से राफेल के बराबर हो सकता है, थोड़ी जल्दबाजी होगी। राफेल एक अत्याधुनिक और बेहद सक्षम विमान है, लेकिन तेजस Mk-2 में जो स्वदेशी नवाचार और उन्नत टेक्नोलॉजी का समावेश है, वह इसे भारतीय वायुसेना के लिए एक मूल्यवान और प्रभावशाली विकल्प बनाता है।
इस समय तेजस Mk-2 भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं के अनुरूप एक उपयुक्त विकल्प साबित हो सकता है, जो कम लागत में अधिकतम लड़ाकू क्षमता प्रदान करता है। भविष्य में, जब इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू होगा, तो यह भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
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