सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी प्लॉट या संपत्ति के पुराने कागज़ों में ऐसे व्यक्ति का नाम दर्ज है जिसकी मृत्यु हो चुकी है, तो सर्वेक्षण की प्रक्रिया में उनके वारिसों के नाम ही राजस्व रिकॉर्ड में चढ़ाए जाएंगे। इसके लिए वंशावली (family tree) और मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) जरूरी दस्तावेज होगी।
राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से न केवल रिकॉर्ड्स को अपडेट करने में सहूलियत होगी, बल्कि भविष्य में होने वाले भूमि विवादों और मुकदमों की संख्या में भी भारी गिरावट आएगी। साथ ही जीवित रैयत के नाम से जमीन के कागजात होंगे।
ग्रामीणों में जागरूकता
राज्य सरकार की योजना है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोगों को इस नई प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जाए। इसके लिए पंचायत स्तर पर शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां लोग अपने ज़रूरी दस्तावेजों के साथ जाकर वारिसों का नाम जुड़वा सकते हैं।
सरकार की मंशा स्पष्ट:
बिहार सरकार राज्य में भूमि प्रबंधन को डिजिटल और विवादमुक्त बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। यह कदम उसी योजना का एक अहम हिस्सा है, जिससे हर व्यक्ति को उसकी संपत्ति का स्पष्ट और कानूनी अधिकार मिल सके।
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