मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के समक्ष हाल ही में इस योजना की विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत की गई थी, जिसे शासन से हरी झंडी मिलने के बाद लागू कर दिया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य न केवल राज्य के ईको टूरिज्म स्थलों का विकास करना है, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना भी है।
कार्य की प्रकृति और ज़िम्मेदारियाँ
फेलो और कोऑर्डिनेटर को राज्य के विभिन्न ईको टूरिज्म स्थलों पर तैनात किया जाएगा, जहां वे विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाएंगे। इनमें ईको टूरिज्म परियोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना, स्थानीय समुदायों और हितधारकों को प्रशिक्षण और जागरूकता प्रदान करना, पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार करना, सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करना, डेटा संकलन व विश्लेषण करना, परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी और पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल होगा।
शैक्षणिक योग्यता और चयन प्रक्रिया
इस कार्यक्रम के लिए उम्मीदवारों के पास पर्यावरण विज्ञान, वन्यजीव विज्ञान, वानिकी, पारिस्थितिकी या संबंधित क्षेत्र में मास्टर डिग्री (न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ) होना अनिवार्य है। साथ ही, एमएस वर्ड, एक्सेल और पावरपॉइंट का कार्यसाधक ज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी में प्रवीणता भी आवश्यक होगी। आवेदन करने के लिए आयु सीमा 23 से 40 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। चयन की प्रक्रिया पूरी तरह से गुणवत्ता आधारित होगी, जिसका संचालन उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा गठित चयन समिति करेगी।
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