बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने 'शिक्षा की बात, हर शनिवार' कार्यक्रम के तहत पांच नई व्यवस्था लागू करने की घोषणा की है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को बेहतर शैक्षणिक माहौल और डिजिटल संसाधनों की सुविधा प्रदान करना है।
डिजिटल पाठ्य सामग्री होगी उपलब्ध
राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में अब डिजिटल पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह सामग्री विद्यार्थियों या उनके अभिभावकों को पेन ड्राइव के माध्यम से दी जाएगी ताकि छात्र घर पर भी बिना इंटरनेट की सुविधा के पढ़ाई कर सकें।
छह जिलों में शुरू होगी ऑनलाइन हाजिरी
राज्य के छह जिले पटना, नालंदा, वैशाली, जहानाबाद, सारण और भोजपुर के पांच-पांच यानी कुल 30 विद्यालयों में एक मई से बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए इन विद्यालयों को टैबलेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पायलट प्रोजेक्ट के तहत कक्षा तीन के छात्रों की उपस्थिति ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज की जाएगी।
कंप्यूटर और आईसीटी लैब की सुविधा
कक्षा 6 से 12 तक के विद्यालयों में जरूरत के मुताबिक कंप्यूटर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) लैब की भी स्थापना की जा रही है। इसका उद्देश्य है कि छात्र तकनीकी ज्ञान में दक्ष बनें और आधुनिक शिक्षा से जुड़ सकें।
शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान
डॉ. सिद्धार्थ ने चिंता जताई कि शिक्षक प्रशिक्षण तो प्राप्त करते हैं, लेकिन उसे कक्षा में लागू नहीं करते। इसे सुधारने के लिए एससीईआरटी को निर्देश दिए गए हैं कि प्रशिक्षण के बाद शिक्षक उसका अनुपालन सुनिश्चित करें। इसके लिए स्कूलों से अधिकारियों को टैग किया जाएगा।
स्कूलों में चेतना सत्र को मिलेगा महत्व
डॉ. सिद्धार्थ ने चेतना सत्र को गंभीरता से लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यालय में समय से पहुंचे और सत्र के दौरान बच्चों के साथ मानवीय गुणों, राष्ट्र प्रेम, राज्य प्रेम और समसामयिक घटनाओं पर संवाद करें। उन्होंने खासकर छोटे बच्चों को पढ़ाते समय स्थानीय भाषा के उपयोग पर जोर दिया, जिससे बच्चे अधिक आसानी से समझ सकें।
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