इससे पहले वर्ष 2018 में जब पहली बार राजकीय विद्यालयों में कंप्यूटर विषय को एलटी ग्रेड भर्ती में शामिल किया गया था, तब बीएड की डिग्री को अनिवार्य योग्यता माना गया था। चूंकि कंप्यूटर एक तकनीकी विषय है, इस क्षेत्र से आने वाले अधिकांश उम्मीदवारों के पास बीएड की डिग्री नहीं थी। परिणामस्वरूप, विज्ञापित 1673 पदों में से मात्र 36 पद ही भर सके, जबकि 1637 पद खाली रह गए।
सरकार ने अब इस बड़ी समस्या को संज्ञान में लेते हुए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। संशोधित नियमों के अनुसार, बीएड को अब केवल अधिमानी अर्हता (Preferential Qualification) के रूप में रखा गया है। इसका अर्थ यह है कि बीएड धारकों को चयन में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन बीएड न करने वाले योग्य उम्मीदवारों को भी मौका मिलेगा।
तकनीकी विषयों के लिए बड़ी राहत
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव तकनीकी विषयों के उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत है। कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों में बीटेक, बीसीए, एमसीए आदि डिग्रियां रखने वाले युवा अब शिक्षक पद के लिए आवेदन कर सकेंगे, जिससे राज्य के राजकीय स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों की भारी कमी दूर हो सकेगी।
भविष्य की भर्तियों पर क्या असर
यह संशोधन आगामी एलटी ग्रेड भर्तियों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। शिक्षा विभाग का मानना है कि इस परिवर्तन से योग्य और तकनीकी रूप से दक्ष अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा और छात्रों को बेहतर कंप्यूटर शिक्षा मिल सकेगी।
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