वर्तमान स्थिति और समस्या
2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक शासनादेश जारी किया था, जिसके तहत जिलाधिकारी (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) द्वारा किसी व्यक्ति को भू-माफिया के रूप में चिह्नित किया जाता था। इसके बाद तहसील स्तर पर एसडीएम, सीओ और थानाध्यक्ष की एक कमेटी बनाई जाती थी, जो जांच कर जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजती थी। जिलास्तर पर इस प्रक्रिया को लागू कर उक्त व्यक्ति को भू-माफिया घोषित किया जाता था और उसका नाम संबंधित पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता था।
लेकिन यह प्रक्रिया कई बार विवादों में फंसी रही है। कुछ मामलों में व्यक्ति के पास कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होने के बावजूद उसे भू-माफिया घोषित कर दिया गया। इसके बाद जब ऐसे मामलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, तो प्रशासन के लिए यह स्थिति असहज हो गई, क्योंकि यह प्रक्रिया किसी कानून के तहत नहीं थी। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भू-माफिया को चिह्नित करने की प्रक्रिया में कानूनी कमी है।
नए कानून की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश सरकार अब यह महसूस कर रही है कि भू-माफिया को चिह्नित करने और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने के लिए एक विधिक ढांचे की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के लिए, सरकार विचार कर रही है कि गैंगस्टर एक्ट में संशोधन किया जाए, ताकि भू-माफिया को भी इसमें परिभाषित किया जा सके। इससे भू-माफिया की पहचान और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और पारदर्शी होगी।
इसके अलावा, अगर आवश्यक समझा जाए तो एक नया अधिनियम भी तैयार किया जा सकता है, जो भू-माफिया के खिलाफ विशेषत: कार्यवाही करने का अधिकार दे। यह कानून भूमि कब्जे, अवैध निर्माण और प्रशासनिक भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है।
कानूनी बदलाव के फायदे
1 .स्पष्टता और पारदर्शिता: नया कानून यह सुनिश्चित करेगा कि भू-माफिया की पहचान के लिए एक स्पष्ट और विधिक प्रक्रिया हो। इससे किसी निर्दोष व्यक्ति को गलत तरीके से भू-माफिया घोषित किए जाने की संभावना कम हो जाएगी।
2 .कानूनी मजबूती: गैंगस्टर एक्ट में भू-माफिया को परिभाषित करने से प्रशासन को कानूनी ताकत मिलेगी, जिससे भू-माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकेगी।
3 .अवैध कब्जे की रोकथाम: इस नए कानून के तहत अवैध भूमि कब्जे और भूमि संबंधी अपराधों पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी। इससे भूमाफियाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी, जो राज्य की संपत्ति और आम जनता के अधिकारों को नुकसान पहुंचाते हैं।
4 .न्यायिक प्रक्रिया की सुगमता: नए कानून के तहत, प्रशासनिक और न्यायिक प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित और मजबूत होगी, जिससे अदालतों में मामलों की सफलता दर बढ़ेगी और फैसलों की समयसीमा में सुधार होगा।
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