मुख्य बिंदु: क्या है नई व्यवस्था
इस नई व्यवस्था के तहत प्रधानाध्यापक निम्नलिखित बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करेंगे: स्कूल भवन की स्थिति एवं आवश्यकता, शौचालय और टॉयलेट की संख्या व स्थिति, बिजली उपकरणों की उपलब्धता, बेंच-डेस्क की स्थिति, बाउंड्री वॉल की जरूरत। अन्य आवश्यक सुविधाएं जैसे पीने का पानी, खेल का मैदान आदि।
प्रधानाध्यापक द्वारा दी गई इन जानकारियों का सत्यापन जिला पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा। इसके बाद यह रिपोर्ट बिहार राज्य शैक्षिक आधारभूत संरचना विकास निगम (BSEIDC) को भेजी जाएगी, जो आगे की निर्माण प्रक्रिया को अंजाम देगा।
भविष्य में नहीं होगी देरी
इस पहल का उद्देश्य केवल जानकारी इकट्ठा करना नहीं, बल्कि उसके आधार पर ठोस कार्रवाई करना है। पहले जब निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर प्राक्कलन तैयार किया जाता था, तो कई बार जमीनी हकीकत से मेल न खाने के कारण निर्माण कार्य में देरी हो जाती थी। राज्य के कई जिलों में इस प्रकार की गलतियों के कारण विकास कार्य अधर में लटक गए थे।
अब जब प्रधानाध्यापक खुद अपने स्कूल की रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसका क्रॉस-वेरिफिकेशन जिला व मुख्यालय स्तर पर होगा, तो किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना कम होगी। साथ ही, अगर कोई त्रुटि पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद
इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि अब स्कूलों की आधारभूत समस्याएं जैसे जर्जर भवन, शौचालय की कमी, बच्चों के बैठने की असुविधा आदि को जल्दी दूर किया जा सकेगा। इससे न केवल छात्रों को बेहतर वातावरण मिलेगा, बल्कि अभिभावकों और समाज का भी सरकारी शिक्षा प्रणाली पर विश्वास मजबूत होगा।
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