मुख्य घटनाएँ और कार्रवाई:
सम्भवत: यह घटना तब तूल पकड़ी जब विद्यापीठ के प्राथमिक विद्यालय बलीपुर में प्रधानाध्यापिका और अन्य शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचते थे और छात्रों के लिए एक उपयुक्त शैक्षिक माहौल नहीं बना पा रहे थे। इसको लेकर छात्रों ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसमें यह कहा गया था कि शिक्षक कभी समय से नहीं आते और गलत चीजें सिखाते हैं। इसके बाद एक ग्राम नागरिक द्वारा मुख्य विकास अधिकारी से शिकायत की गई, जिसके बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने मामले की जांच शुरू की।
जांच में यह पाया गया कि विद्यालय में केवल नौ छात्र उपस्थित थे और अधिकांश शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचे थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापिका दीपा कुमारी, सहायक अध्यापिका आरती सिंह और प्रिया कुमारी सिंह को निलंबित कर दिया। इसके अलावा शिक्षा मित्र कन्हैयालाल और पूनम राय को उनके अनुबंध को समाप्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए।
गाली-गलौज के मामले में भी कार्रवाई:
वहीं, एक अन्य घटना में प्राथमिक विद्यालय कारवां बड़ागांव के शिक्षकों के बीच गाली-गलौज का वीडियो वायरल हुआ। जांच में यह पाया गया कि शिक्षकों के बीच आपसी विवाद बढ़ गया था, जो स्कूल में अनुशासन की कमी को दर्शाता है। इस मामले में भी विस्तृत जांच की गई और प्रधानाध्यापक दिनेश यादव, सहायक अध्यापक संजय कुमार और उदय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता:
इन घटनाओं से यह साफ़ है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। जब शिक्षकों का समय पर स्कूल नहीं पहुंचना, शैक्षिक वातावरण की कमी और आपसी विवाद सामने आते हैं, तो यह छात्रों के भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। शिक्षा विभाग को ऐसे मामलों में और अधिक सख्ती से काम करना होगा और स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
इस कार्रवाई से यह संदेश भी गया है कि यदि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना है, तो सिर्फ योजनाओं और योजनाओं से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि इसे क्रियान्वित करने के लिए शिक्षक, शिक्षिकाओं और शिक्षा अधिकारियों को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं, और यदि वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तो समाज में बदलाव कैसे आएगा?
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