क्या है मामला?
बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम 2011 और बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली 2012 के तहत, भूमि की दाखिल-खारिज प्रक्रिया सामान्यत: रैयतों (भूमिधारियों) के लिए होती है, जो अंचल स्तर पर की जाती है। लेकिन हाल ही में यह सूचना सामने आई कि कुछ अंचल कार्यालयों ने अपार्टमेंट निर्माण के लिए खरीदी गई या समझौते से प्राप्त भूमि का दाखिल-खारिज फ्लैटधारियों के नाम से कर दिया। जबकि, इस मामले में फ्लैटधारियों के नाम पर भूमि का नामांतरण करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
विभागीय सॉफ्टवेयर की कमी
इस आदेश में जो अहम बात सामने आई है, वह है विभागीय सॉफ्टवेयर में आवश्यक प्रावधानों की कमी। दरअसल, सॉफ्टवेयर में इस प्रक्रिया के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे अपार्टमेंट के फ्लैटधारियों के नाम पर दाखिल-खारिज किया जा सके। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस मुद्दे पर आवश्यक बदलाव नहीं किए जाते और सॉफ्टवेयर में प्रावधान नहीं जोड़ा जाता, तब तक फ्लैटधारियों के नाम से कोई भी जमीन का दाखिल-खारिज, नामांतरण या जमाबंदी की प्रक्रिया नहीं की जाएगी।
फ्लैटधारियों पर इसका प्रभाव
इस रोक का प्रभाव सीधे तौर पर फ्लैटधारियों पर पड़ेगा, जो अपार्टमेंट की जमीन को लेकर कई बार भ्रमित होते हैं। कई फ्लैटधारी पहले से ही अपनी संपत्ति का नामांतरण करवाने के लिए आवेदन कर चुके हैं, और अब उन्हें इस प्रक्रिया में और देरी का सामना करना पड़ेगा। इससे भविष्य में न केवल फ्लैटधारियों को परेशानी हो सकती है, बल्कि अपार्टमेंट डेवलपर्स को भी अपनी परियोजनाओं को लेकर नई रणनीतियों पर विचार करना पड़ सकता है।
सरकार के क्या है निर्देश?
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और समाहर्ताओं को इस आदेश का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस कदम से भूमि प्रशासन की पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भूमि के नामांतरण में कोई भी अनियमितता न हो।
0 comments:
Post a Comment