स्कूली शिक्षा महानिदेशालय ने इस संबंध में राज्य के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) और जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। यह व्यवस्था कंपोजिट स्कूल ग्रांट की धनराशि से की जाएगी ताकि स्कूलों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
चिकित्सा किट में उपलब्ध होंगी ये जरूरी दवाएं
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन के सुझाव के आधार पर इस फर्स्ट एड बॉक्स में आवश्यक दवाओं की सूची भी तैयार की गई है। स्कूलों में उपलब्ध कराई जाने वाली किट में निम्न दवाएं शामिल होंगी:
ओआरएस पाउडर – डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए
पैरासिटामोल टैबलेट/सिरप – बुखार के लिए
ओंडम सिरप – उल्टी की समस्या के लिए
मेट्रोजिल सिरप – पेट संक्रमण के इलाज हेतु
डायसाइक्लोमाइन सिरप – पेट दर्द व ऐंठन के लिए
बीटाडीन मरहम – चोट या घाव पर लगाने के लिए
बैंडडेट (बैंड-एड) – मामूली कट या खरोंच पर
डाइजिन टैबलेट – एसिडिटी की शिकायत में राहत के लिए
डिक्लोफेनाक जेल – शरीर दर्द या मांसपेशियों की चोट में उपयोगी
जिम्मेदारी तय, निगरानी भी होगी
स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि सभी स्कूल प्रमुखों को फर्स्ट एड बॉक्स की नियमित जांच व अपडेट सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि दवाएं एक्सपायरी डेट से पहले बदली जाएं और शिक्षक प्राथमिक उपचार के लिए न्यूनतम ट्रेनिंग भी लें। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर गंभीर है। छोटे-छोटे उपाय जैसे प्राथमिक उपचार की सुविधा, किसी भी बड़ी समस्या को समय रहते रोकने में सहायक साबित हो सकते हैं।
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