यूपी में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नए नियम: अब पहले से ज़्यादा सख्ती

अलीगढ़, यूपी। अगर आप उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सोच रहे हैं, तो अब आपको पहले से कहीं ज़्यादा सतर्क और तैयार रहने की ज़रूरत है। फर्जीवाड़े और लापरवाही पर लगाम कसते हुए परिवहन विभाग ने 24 अप्रैल 2025 से स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए एक नई और सख्त प्रक्रिया लागू कर दी है।

अब लाइसेंस से पहले होगा एक और टेस्ट

अब तक ड्राइविंग टेस्ट मैन्युअली RTO ऑफिस में लिया जाता था, जिसमें खानापूर्ति कर कई बार नाकाबिल ड्राइवर भी पास हो जाते थे। लेकिन अब इस प्रक्रिया को पूरी तरह तकनीकी और पारदर्शी बनाया गया है। मंडल स्तरीय ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (DTI), अलीगढ़ में स्थायी लाइसेंस से पहले एक अतिरिक्त टेस्ट देना होगा — वो भी सेंसरयुक्त ट्रैफिक ट्रैक पर।

यह नया ट्रैक सेंसरों और 100 से अधिक कैमरों से लैस है, जो हर गतिविधि की निगरानी करेगा। वाहन की गति, मोड़, पार्किंग स्किल्स और ट्रैफिक सिग्नल फॉलो करने की आदत को रिकॉर्ड किया जाएगा। इसे पास करना सभी के लिए अनिवार्य होगा।

ड्राइविंग टेस्ट से पहले ट्रेनिंग अनिवार्य

इस नयी प्रणाली के अंतर्गत अभ्यर्थियों को सबसे पहले संस्थान में जाकर प्रशिक्षण लेना होगा। मारुति सुज़ुकी को इसकी ज़िम्मेदारी दी गई है और यहां तीन अलग-अलग तरह के ड्राइविंग ट्रैक बनाए गए हैं। प्रशिक्षण में गाड़ी पार्क करना, सिग्नल पर रुकना, संकेत पहचानना और ट्रैफिक रूल्स को समझना शामिल है। ट्रेनिंग के बाद प्रमाण पत्र (Certificate) जारी किया जाएगा, जो परमानेंट डीएल टेस्ट के लिए आवश्यक होगा।

फर्जीवाड़ा और दलाल राज पर रोक

पुराने सिस्टम में RTO पर दलालों के माध्यम से लाइसेंस बनवाने का आरोप लगता रहा है। बिना ठीक से ड्राइविंग जाने भी लाइसेंस मिल जाना आम बात थी। लेकिन नई व्यवस्था में कैमरे की निगरानी और सेंसर आधारित सिस्टम इन खामियों को खत्म करेगा।

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