राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि निरीक्षण के दौरान दस्तावेजों में कोई त्रुटि या विसंगति पाए जाने पर उसका तत्काल सुधार किया जाए। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आरओआर की हार्ड कॉपी पर संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर मौजूद हैं या नहीं। यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे जमीन के कागजातों की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठेंगे और रैयतों को सटीक दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।
शिकायतें और धीमी प्रक्रिया बनी चुनौती
हालांकि सुधार की प्रक्रिया सुचारु रूप से जारी है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में शिकायतें लंबित हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, 6 फरवरी 2025 तक डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटियों को लेकर कुल 12,06,880 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनमें से अब तक 9,42,558 का निबटारा किया जा चुका है। वहीं, छूटी हुई जमाबंदियों के लिए प्राप्त 6,34,845 शिकायतों में से केवल 2,70,359 मामलों का समाधान हो पाया है। शेष शिकायतों के निष्पादन की प्रक्रिया अब भी जारी है।
इस प्रक्रिया की धीमी गति के कारण आम जनता, विशेष रूप से रैयतों को जमीन के दस्तावेज प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जब उन्हें ऑनलाइन सही दस्तावेज नहीं मिलते, तो उन्हें अंचल कार्यालय के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं।
जिलों का प्रदर्शन: मुजफ्फरपुर सबसे आगे, शिवहर सबसे पीछे
डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड्स की समीक्षा के दौरान सामने आया कि मुजफ्फरपुर जिला ने इस प्रक्रिया में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके विपरीत, शिवहर जिले का प्रदर्शन सबसे खराब पाया गया है। विभाग अब खराब प्रदर्शन वाले जिलों पर विशेष ध्यान देते हुए निगरानी और सुधार की दिशा में कार्य कर रहा है।
राजस्व विभाग ने अंचल अधिकारियों, राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों को लगातार दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि सुधार कार्यों में तेजी लाई जा सके। उम्मीद जताई जा रही है कि जब सभी डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड सही और अद्यतित होंगे, तो जमीन संबंधी विवादों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आएगी।
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