बिहार में घर-घर जाकर स्वघोषणा संग्रह का आदेश: भूमि सर्वेक्षण अभियान को मिली नई गति!

न्यूज डेस्क: बिहार सरकार भूमि सुधार एवं सर्वेक्षण को लेकर लगातार सक्रिय है। इसी कड़ी में नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड में राजस्व अधिकारी अशोक कुमार झा ने भूमि सर्वेक्षण शिविर का निरीक्षण करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया। उन्होंने अमीनों को आदेश दिया कि वे किसानों के घर-घर जाकर स्वघोषणा पत्र और वंशावली (वंश वृक्ष) की जानकारी एकत्रित करें ताकि भूमि संबंधी विवरण अधिक सटीक और पारदर्शी हो सके।

क्या है स्वघोषणा और वंशावली?

स्वघोषणा पत्र वह दस्तावेज होता है जिसमें जमीन का मालिक स्वयं यह घोषणा करता है कि वह किस प्रकार की भूमि का स्वामी है, भूमि का उपयोग किस उद्देश्य से हो रहा है और उस पर उसका कानूनी हक है या नहीं। वहीं, वंशावली से यह पता चलता है कि किसी ज़मीन पर मालिकाना हक वंशानुगत रूप से कैसे हस्तांतरित हुआ है। इससे विवादों को सुलझाने में मदद मिलती है।

आदेश की मुख्य बातें:

घर-घर जाकर सर्वेक्षण – अमीनों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक किसान के घर जाकर जानकारी एकत्र करें ताकि कोई भी परिवार या व्यक्ति छूट न जाए।

प्रपत्र-5 में एंट्री – स्वघोषणा और वंशावली की जानकारी को निर्धारित प्रपत्र संख्या-5 में दर्ज करने का निर्देश दिया गया है, जिसकी समयसीमा एक सप्ताह तय की गई है।

समयबद्ध कार्यवाही – राजस्व अधिकारी ने सभी कर्मियों को समय सीमा के भीतर कार्य पूर्ण करने की सख्त हिदायत दी है ताकि सर्वेक्षण का कार्य विलंबित न हो।

इस पहल का उद्देश्य:

बिहार सरकार का उद्देश्य है कि भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए। इससे न केवल भूमि विवादों में कमी आएगी, बल्कि किसानों को योजनाओं का लाभ लेने में भी आसानी होगी। इसके अतिरिक्त, भूमि कर संग्रहण और योजना निर्माण में भी सहूलियत मिलेगी।

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