यूपी में वृद्धावस्था पेंशन को लेकर आया बड़ा अपडेट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन योजना में पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब वृद्धावस्था पेंशन का लाभ ले रहे सभी बुजुर्गों का डोर-टू-डोर सघन सत्यापन कराया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पेंशन की राशि वास्तविक पात्र लाभार्थियों तक ही पहुंचे और कोई भी अपात्र व्यक्ति या मृतक इस योजना का अनुचित लाभ न उठा सके।

क्यों हो रहा है सत्यापन?

पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि कई मामलों में ऐसे लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे हैं जो इसके पात्र नहीं हैं। वहीं, कुछ मामलों में पेंशन लाभार्थी की मृत्यु के बाद भी उनके नाम पर पेंशन जारी रहती है। इससे सरकार को आर्थिक क्षति होती है और वास्तविक जरूरतमंद बुजुर्गों को समय पर सहायता नहीं मिल पाती। इसी वजह से राज्य सरकार ने सभी पेंशनधारकों का फिजिकल वेरिफिकेशन कराने का निर्णय लिया है।

क्या होगा प्रक्रिया में?

डोर-टू-डोर सत्यापन के तहत संबंधित विभाग के अधिकारी लाभार्थियों के घर जाएंगे। लाभार्थी के जीवित होने, आयु और अन्य दस्तावेजों की जांच की जाएगी। सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ही अगली किस्त जारी की जाएगी। यदि कोई लाभार्थी अपात्र या मृत पाया गया, तो उसकी पेंशन तत्काल प्रभाव से रोक दी जाएगी।

योजना का लाभ

उत्तर प्रदेश सरकार की वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को प्रति वर्ष ₹3,000 की चार किस्तों में कुल ₹12,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है, जिससे बुजुर्ग अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

सरकार का उद्देश्य

इस सत्यापन अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों को मिले। इसके अलावा, पेंशन प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए यह एक सराहनीय पहल है।

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