परमाणु ताकत में कौन आगे – भारत या पाकिस्तान? जानें दोनों की नीतियां

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु शक्ति की दौड़ दशकों से चल रही है, और दोनों देशों की परमाणु ताकत को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। हालांकि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन उनकी रणनीतियाँ और नीति एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं। हाल ही में एक सुरक्षा विश्लेषण रिपोर्ट में इन दोनों देशों की परमाणु क्षमता और नीतियों पर प्रकाश डाला गया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच बेहद महत्वपूर्ण है।

भारत का परमाणु कार्यक्रम: संयम की नीति

भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था, जिसे "स्माइलिंग बुद्धा" के नाम से जाना जाता है। इसके बाद, 1998 में पोखरण-2 परीक्षण के ज़रिए भारत ने खुद को एक आधिकारिक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। भारत की परमाणु नीति "नो फर्स्ट यूज़" (NFU) पर आधारित है। इसका मतलब है कि भारत तब तक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा जब तक उस पर परमाणु हमला न किया जाए।

भारत के पास विभिन्न प्रकार के परमाणु हथियारों के वितरण प्रणाली भी मौजूद हैं, जिनमें Agni और Prithvi जैसी मिसाइलें  और INS Arihant जैसे परमाणु-संचालित पनडुब्बियां शामिल हैं। जो भारत की परमाणु ताकत को दुनिया में सबसे उत्तम बनाती हैं।

पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम: क्या हैं निति

पाकिस्तान ने भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद 1998 में खुद भी परमाणु परीक्षण किया था। पाकिस्तान की परमाणु नीति "न्यूनतम प्रतिरोध" पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन वे केवल युद्ध के समय के लिए उपयोग किए जाएंगे, न कि पहले। 

पाकिस्तान के पास भी परमाणु मिसाइलें हैं, जिनमें Shaheen और Ghauri जैसी मिसाइलें शामिल हैं। हालांकि, पाकिस्तान की परमाणु ताकत भारत के मुकाबले समुद्री क्षेत्र में कमजोर मानी जाती है, क्योंकि पाकिस्तान के पास INS Arihant जैसा कोई न्यूक्लियर पनडुब्बी प्रक्षेपण सिस्टम नहीं है।

कौन अधिक शक्तिशाली है?

भारत और पाकिस्तान दोनों के पास लगभग समान संख्या में परमाणु वॉरहेड्स हैं, अनुमानित तौर पर भारत के पास 172 परमाणु हथियार हैं और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हो सकते हैं। हालांकि, भारत की परमाणु रणनीति और तकनीकी क्षमता उसे अधिक प्रभावी बनाती है। भारत की त्रिकोणीय परमाणु रणनीति (जमीन, वायु और समुद्र) पाकिस्तान से कहीं अधिक विकसित है। भारतीय INS Arihant जैसे न्यूक्लियर पनडुब्बी और सुपरसोनिक मिसाइलों की प्रगति, उसे परमाणु हमले के मामले में एक मजबूत रक्षा कवर प्रदान करती है।

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