बिहार में संविदा कर्मियों के लिए नई व्यवस्था लागू!

पटना: बिहार के पंचायतों में कामकाज को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। पंचायती राज विभाग ने प्रदेश भर में कार्यरत संविदा कर्मियों के लिए मई माह से बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी है। अब कार्यालय में उपस्थिति दर्ज कराए बिना किसी भी संविदा कर्मचारी को मानदेय का भुगतान नहीं किया जाएगा।

इस नई व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम कचहरी सचिव, न्याय मित्र, तकनीकी सहायक, लेखापाल सह आईटी सहायक, आरटीपीएस कार्यालय के सहायक, प्रखंड कार्यपालक सहायक सहित सभी संविदा कर्मियों को हर दिन बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

पंचायती राज विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस व्यवस्था का उद्देश्य पंचायत स्तर पर सरकारी कार्यों को सुचारु और नियमित बनाना है। विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई संविदा कर्मी निर्धारित समय पर कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते हैं, जिससे ग्रामीण जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सॉफ्टवेयर से सीधे लिंक होगी हाजिरी

इस नई व्यवस्था के तहत बायोमेट्रिक मशीनों को बी-बैस सॉफ्टवेयर से एपीआई (API) के माध्यम से जोड़ा गया है। जैसे ही कोई कर्मचारी हाजिरी लगाएगा, उसकी उपस्थिति सीधे सॉफ्टवेयर पर अपडेट हो जाएगी। इससे न सिर्फ मानदेय भुगतान में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अधिकारी स्तर पर हेराफेरी की संभावना भी समाप्त हो जाएगी।

कुछ विशेष स्थितियों में मिलेगी छूट

हालांकि, यदि कोई संविदा कर्मी किसी आवश्यक प्रशिक्षण या विभागीय कार्य के कारण कार्यालय में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो ऐसी स्थिति में प्रमाण पत्र के आधार पर बिना बायोमेट्रिक हाजिरी के भी मानदेय मिल सकेगा।

अप्रैल के अंत तक पूरा होगा ट्रायल

इस प्रणाली का ट्रायल इस माह (अप्रैल) के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद मई से इसे राज्यभर में पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा। पंचायती राज विभाग में इस समय करीब 12,000 संविदा कर्मी कार्यरत हैं, जिनमें 7,500 ग्राम पंचायत सचिव शामिल हैं। इस नई व्यवस्था के लागू होने से न सिर्फ संविदा कर्मियों की कार्यशैली में सुधार आएगा, बल्कि गांव के आम लोगों को सरकारी सेवाएं समय पर और बेहतर ढंग से मिल सकेंगी।

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