उद्देश्य और महत्व
शिक्षा विभाग ने इस बार का निरीक्षण अभियान बेहद गंभीरता से तैयार किया है। विभाग का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है, ताकि बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार हो सके। इस अभियान से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक विद्यालय में शिक्षा का स्तर बेहतर हो, शिक्षकों की उपस्थिति नियमित हो, और छात्रों की शैक्षणिक प्रगति पर सही तरीके से ध्यान दिया जा रहा हो।
निरीक्षण प्रक्रिया
राज्यव्यापी निरीक्षण अभियान को सुचारू रूप से लागू करने के लिए शिक्षा विभाग ने मुख्यालय से 38 अधिकारियों की एक टीम गठित की है। ये अधिकारी विभिन्न जिलों में तैनात किए गए हैं और उनका मुख्य कार्य विद्यालयों का निरीक्षण करना होगा। प्रत्येक अधिकारी को तीन माह की अवधि दी गई है, ताकि वह अपने आवंटित जिले के सभी सरकारी विद्यालयों का समग्र निरीक्षण कर सकें।
अधिकारियों को निर्देश
इन अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक विद्यालय में जाकर पठन-पाठन की गुणवत्ता, बच्चों की शैक्षणिक प्रगति, शिक्षकों की हाजिरी और स्कूल में होने वाली अन्य गतिविधियों की जांच करें। इसके अलावा, अधिकारियों को विद्यालयों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं, जैसे कि शौचालय, पानी, बैठने की व्यवस्था, और किताबों की उपलब्धता की भी निगरानी करनी होगी।
रिपोर्टिंग और मूल्यांकन
इस निरीक्षण अभियान का एक और महत्वपूर्ण पहलू है रिपोर्टिंग और मूल्यांकन की प्रक्रिया। हर अधिकारी को अपनी निरीक्षण रिपोर्ट को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना होगा। यह पोर्टल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे विभाग ने इस अभियान की पारदर्शिता और डेटा संग्रहण के लिए तैयार किया है। रिपोर्ट में विद्यालय की ताकत और कमजोरियों का विवरण होगा, जिससे विभाग को यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन से विद्यालय बेहतर काम कर रहे हैं और कौन से विद्यालय सुधार की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट के आधार पर विभाग विद्यालयों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेगा और जरूरी कदम उठाएगा।
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