यह पहल सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे की घटनाओं पर अंकुश लगाने और संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक प्रभावशाली कदम मानी जा रही है। जमीनों से संबंधित जानकारी को अब ऑनलाइन पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे आम जनता को भी सरकारी जमीनों से जुड़ी जानकारी सहज रूप से उपलब्ध हो सकेगी।
ई-म्यूटेशन से होगी प्रक्रिया और आसान
इस ऑनलाइन डाटाबेस को ई-म्यूटेशन सॉफ्टवेयर से भी जोड़ा जाएगा। इससे जमीन के दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी। इससे न केवल समय और श्रम की बचत होगी, बल्कि प्रक्रिया में पारदर्शिता आने से भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाई जा सकेगी।
बिहार के कुछ क्षेत्रों में अभी बाकी है काम
हालांकि, जिले के 82 मौजा ऐसे हैं, जहां अभी ऑनलाइन एंट्री का कार्य शुरू नहीं हो सका है। विभाग ने सभी अंचलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में शेष सरकारी जमीनों का डाटा जल्द से जल्द अपलोड कराएं ताकि जिले की 100 प्रतिशत सरकारी जमीनें इस डाटाबेस में शामिल की जा सकें।
सरकारी रिकॉर्ड में पारदर्शिता की दिशा में मजबूत कदम
इस पूरी प्रक्रिया से सरकारी भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव पहले की तुलना में कहीं अधिक कुशल, पारदर्शी और जन-सुलभ बनेगा। यह पहल न सिर्फ जमीन से जुड़ी शिकायतों और विवादों में कमी लाएगी, बल्कि भविष्य में भूमि प्रबंधन की दिशा में भी एक मजबूत आधार तैयार करेगी।
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