बिहार में घर के पास है गैरमजरूआ जमीन, तो सर्वे में होगा अलग!

पटना। बिहार में जमीन संबंधी सर्वे का कार्य जोरों पर है और इसी बीच गैरमजरूआ जमीन को लेकर आम लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। खासकर उन लोगों के लिए यह जानकारी बेहद जरूरी है, जिनके घर के आसपास सरकारी जमीन है। सहायक बंदोबस्त पदाधिकारियों के अनुसार, गैरमजरूआ जमीन मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है — गैरमजरूआ आम और गैरमजरूआ खास।

क्या होती है गैरमजरूआ आम जमीन?

गैरमजरूआ आम जमीन पूरी तरह से सरकार की संपत्ति होती है। इसका उपयोग आम जनहित के कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि सड़क, नाला, नदी, शमशान, कब्रिस्तान, तालाब, विद्यालय, या सार्वजनिक उपयोग के अन्य निर्माण। कई बार इस तरह की जमीनें परती भी रह जाती हैं, लेकिन इनका मालिकाना हक पूरी तरह से सरकार के पास होता है।

सर्वे के दौरान अगर यह पाया गया कि किसी व्यक्ति ने गैरमजरूआ आम जमीन पर कब्जा कर रखा है, तो प्रशासन उस पर कार्रवाई करेगा। ऐसे अवैध कब्जे हटाए जाएंगे और जमीन को फिर से सरकारी रिकॉर्ड में सुरक्षित कर लिया जाएगा।

गैरमजरूआ खास जमीन वालों को राहत

वहीं दूसरी ओर, गैरमजरूआ खास जमीन के मामले में स्थिति बिल्कुल अलग है। यदि यह जमीन आपके नाम खतियान (जमीन का रिकॉर्ड) में दर्ज है, तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे मामलों में जमीन का मालिकाना हक उसी व्यक्ति के पास रहेगा, जिसके नाम पर वह दर्ज है। अगर किसी और ने इस पर कब्जा कर रखा है, तो उसे हटाकर असली मालिक को उसकी जमीन सौंप दी जाएगी।

जमीन सर्वे में होगा अलग रिकॉर्ड

राज्य सरकार के निर्देश पर किए जा रहे इस व्यापक सर्वेक्षण में गैरमजरूआ आम और गैरमजरूआ खास जमीनों की पहचान अलग से की जा रही है। इसका उद्देश्य सरकारी संपत्ति की सुरक्षा करना और निजी मालिकों को उनके हक की जमीन सुनिश्चित कराना है।

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