बिहार: फिजियोथेरेपी कोर्स में NEET UG के द्वारा एडमिशन

पटना: बिहार में फिजियोथेरेपी कोर्स में अब नामांकन NEET UG के माध्यम से ही होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर, सरकारी और प्रतिष्ठित निजी संस्थानों में फिजियोथेरेपी कोर्स में प्रवेश के लिए नेशनल इलिजबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट-Undergraduate (NEET UG) को अनिवार्य कर दिया है। इससे फिजियोथेरेपिस्ट की पेशेवर स्थिति में बदलाव आएगा और समाज में उनकी प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी।

बता दें की अब फिजियोथेरेपी कोर्स एमबीबीएस की तरह पांच साल का होगा, और कोर्स को पूरा करने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट को नाम के आगे "डॉक्टर" और बाद में "पीटी" यानी "फिजियोथेरेपिस्ट" लगाना अनिवार्य होगा। इस बदलाव से जहां पाठ्यक्रम के स्तर में सुधार होगा, वहीं रोजगार के अवसरों की गुणवत्ता में भी इजाफा होगा।

समाज में बढ़ेगी प्रतिष्ठा, जानें क्यों?

आईजीआईएमएस (IGIMS) में फिजियोथेरेपी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रत्नेश चौधरी और एलएनजेपी (LNJP) के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि इस कदम से फिजियोथेरेपिस्ट की पहचान और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ावा मिलेगा। नाम के आगे डॉक्टर लगाने से उनकी विशेषज्ञता को पहचान मिलेगी, और "पीटी" से यह स्पष्ट होगा कि वे सर्जन, फिजिशियन या फिजियोथेरेपिस्ट हैं।

फिजियोथेरेपी विभाग का विस्तार

यह अधिसूचना भारतीय संसद द्वारा पारित हेल्थ एवं अलाइड हेल्थ केयर बिल-2021 के तहत आई है, जिसका उद्देश्य फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में सुधार लाना और इसे एक स्वतंत्र पेशे के रूप में स्थापित करना है। इस बिल के पारित होने के बाद अब हर अस्पताल में एक अलग फिजियोथेरेपी विभाग खुल सकेगा, और उसका पंजीयन भी अलग से होगा।

आईजीआईएमएस का फिजियोथेरेपी विभाग

आईजीआईएमएस में 25 वर्षों से स्वतंत्र फिजियोथेरेपी विभाग कार्य कर रहा है। अब इस विभाग को और अधिक व्यवस्थित किया जाएगा, ताकि चिकित्सकों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके और उनकी क्षमताओं में वृद्धि हो सके। यह नया कदम फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए एक बड़े अवसर के रूप में उभर सकता है। NEET UG के माध्यम से प्रवेश से यह कोर्स न केवल एक मान्यता प्राप्त डिग्री की तरह स्थापित होगा, बल्कि इससे छात्रों को उच्च-स्तरीय शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर भी मिलेगा।

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