खबर के अनुसार वीटो पॉवर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सुरक्षा परिषद में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय एकतरफा न हो और इसके लिए स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक हो। लेकिन यह भी आलोचना का कारण बनता है, क्योंकि कभी-कभी यह वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए जरूरी कदमों को रोक देता हैं।
बता दें की दुनिया के कई देश भारत के लिए वीटो पावर का समर्थन करते हैं। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस शामिल हैं। लेकिन चीन नहीं चाहता की भारत को कभी वीटो पावर की शक्ति मिले। इसलिए चीन इसका हर बार विरोध करता हैं।
चीन का भारत के वीटो पॉवर के लिए विरोध क्यों?
1 .क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा: भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष है। चीन को डर है कि भारत को वीटो पॉवर मिलने से उसकी अपनी स्थिति कमजोर होगी।
2 .राजनीतिक दृष्टिकोण: चीन भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को सीमित करना चाहता है। वीटो पॉवर भारत को अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक प्रभावशाली बना देगा, जिसे चीन नहीं चाहता।
3 .सामरिक संबंध: चीन, पाकिस्तान के साथ अपने मजबूत संबंधों के कारण भी भारत को बढ़ावा देने के खिलाफ है। पाकिस्तान, भारत का प्रतिकूल पड़ोसी है, और चीन भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए सहमत नहीं होगा।
4 .सुरक्षा चिंताएँ: चीन को यह चिंता है कि भारत वीटो पॉवर मिलने पर उसके खिलाफ किसी भी संभावित कार्रवाई में अधिक सक्रिय हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
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