भारत खरीद रहा 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट!

नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार इस महीने के अंत में भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ा फैसला लेने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट्स की खरीद को मंजूरी देने की दिशा में अंतिम निर्णय लेने के लिए कदम बढ़ाया है। यह सौदा लगभग 7.6 बिलियन डॉलर (लगभग 56,000 करोड़ रुपये) का होगा, और इसकी मंजूरी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) के समक्ष इस महीने के अंत में रखी जाएगी।

राफेल-एम का महत्व

राफेल-मरीन जेट्स भारतीय नौसेना की शक्ति को मजबूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये लड़ाकू विमानों को भारतीय नौसेना के दो प्रमुख विमानवाहक पोतों—आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा। भारतीय नौसेना की रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, राफेल-एम की खरीद ने भारतीय समुद्री सुरक्षा बलों को और अधिक प्रभावी बनाने का अवसर प्रदान किया है।

उन्नत हथियारों से लैस

राफेल-एम में विभिन्न प्रकार के उन्नत हथियारों की भरमार है। मेटियोर मिसाइल (Meteor Missile), मल्टी-मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (MICA), SCALP क्रूज मिसाइल और EXOCET एंटी-शिप मिसाइलें जैसी तकनीकें इसे युद्ध के मैदान में बेहद प्रभावी बनाती हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल समुद्र में दुश्मन के जहाजों और विमानों पर सटीक हमले करने के लिए किया जा सकता है, जो भारतीय नौसेना को एक महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त देता है।

चीन की चुनौती और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा

भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region, IOR) में, यह कदम भारत की रक्षा तैयारी को और मजबूत करेगा। चीन का बढ़ता प्रभाव और उसके समुद्री गतिविधियां भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बन चुकी हैं। ऐसे में राफेल-एम और अन्य उन्नत हथियारों से लैस पनडुब्बियों की खरीद भारतीय नौसेना को चीन के बढ़ते दबाव से निपटने में सक्षम बनाएगी।

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