बिहार में शिक्षकों की पोस्टिंग को लेकर बड़ा आदेश

पटना: बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) लगातार प्रयास कर रहे हैं। बीपीएससी ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिससे राज्य के लाखों प्राथमिक शिक्षकों की पोस्टिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया है। इस आदेश के तहत बीपीएससी द्वारा चयनित प्राथमिक शिक्षकों को अब उनके कार्यस्थल के रूप में एक जिला आवंटित किया गया है। इसके बाद इन शिक्षकों को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपने आवंटित जिले में तीन-तीन प्रखंडों के विकल्प देने होंगे। इस प्रक्रिया की अंतिम तिथि 12 अप्रैल निर्धारित की गई है।

प्राथमिक शिक्षकों के लिए नई प्रक्रिया

बीपीएससी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, चयनित प्राथमिक शिक्षकों को अब अपनी पसंद के अनुसार अपने कार्यस्थल के लिए प्रखंडों के विकल्प देने होंगे। यह प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और इसके लिए शिक्षकों को ई-शिक्षा कोष पोर्टल का उपयोग करना होगा। शिक्षक अपने आवंटित जिले में तीन-तीन प्रखंडों के विकल्प चयन करेंगे, जिसके बाद उन्हें उन प्रखंडों में स्थित विद्यालयों में पोस्टिंग दी जाएगी। यह कदम बिहार सरकार के शिक्षकों के कार्यस्थल को अधिक स्थिर और कुशल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

इसके अलावा, बीपीएससी तृतीय चरण में चयनित अभ्यर्थियों से भी अपने विकल्प मांगे गए हैं। इससे पहले जिन शिक्षकों को चयनित किया गया था, वे अब अपने कार्यस्थल के लिए अंतिम विकल्प भर सकेंगे। इस प्रक्रिया के बाद स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग की जाएगी और इससे राज्य के शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार होने की संभावना जताई जा रही है।

प्रक्रिया की अहमियत और उद्देश्य

बिहार में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शिक्षकों को उनके जिला और प्रखंड के आधार पर पोस्टिंग देने से, शिक्षक-शिक्षिका को उनके गृह जिले के नजदीक पोस्टिंग मिलने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, यह कदम शिक्षकों के बीच की वर्कफोर्स का समुचित वितरण सुनिश्चित करेगा, जिससे हर स्कूल में योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक मिल सकेंगे।

साथ ही, यह व्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी एक अहम कदम है। जब शिक्षक अपने पोस्टिंग स्थल से संतुष्ट होते हैं, तो उनकी कार्यक्षमता और जिम्मेदारी में भी वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया से राज्य में शिक्षकों का एक अच्छा नेटवर्क तैयार होगा और शिक्षकों की कमी वाली क्षेत्रों में शिक्षकों की सही तैनाती की जाएगी।

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