यूपी में शिक्षामित्रों का मानदेय अप्रैल में बढ़ सकता है!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर लंबे समय से विवाद और चर्चाएं चल रही हैं। शिक्षामित्रों के मुद्दे पर हालिया घटनाक्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक अहम आदेश दिया है, जिसमें उसे अगले एक महीने के भीतर शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर निर्णय लेने को कहा है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 1 मई तक हलफनामा प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है। इस आदेश के बाद अब शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि की संभावना एक बार फिर चर्चा में है, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय सरकार की ओर से ही लिया जाएगा।

मानदेय बढ़ाने की आवश्यकता

शिक्षामित्रों का वर्तमान मानदेय उन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए काफी कम है जिनमें वे काम करते हैं। कई शिक्षामित्र अपनी जॉब को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं और आर्थिक तंगी के कारण उनके काम में भी बाधाएं आती हैं। शिक्षा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि करना सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है।

हाई कोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह एक महीने के भीतर इस मुद्दे पर निर्णय ले। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार इस आदेश का पालन करती है, तो शिक्षामित्रों का मानदेय अप्रैल महीने में बढ़ सकता है। इस निर्णय ने शिक्षामित्रों में उम्मीदें जगा दी हैं, लेकिन सरकार द्वारा अब तक इस पर कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण कुछ संशय भी उत्पन्न हुआ है।

मुख्यमंत्री कार्यालय का रुख

बेसिक शिक्षा विभाग और वित्त विभाग की ओर से कुछ महीने पहले ही शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया था, लेकिन उस समय से अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद ही मानदेय में वृद्धि की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। शिक्षामित्रों का मानना है कि यदि मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई आदेश जारी होता है, तो उनका मानदेय बढ़ सकता है। 

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