1. हाई BP (उच्च रक्तचाप):
हाई BP तब होता है जब रक्तचाप का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है। इसे "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कई मामलों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। समय पर इलाज न करने पर यह दिल की बीमारी, स्ट्रोक, और किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है।
हाई BP के लक्षण: सिरदर्द (विशेषकर माथे के आसपास), चक्कर आना और घबराहट महसूस होना, सांस में तंगाई और सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, नाक से खून बहना, थकान और कमजोरी, मानसिक तनाव।
2. लो BP (निम्न रक्तचाप):
लो BP तब होता है जब रक्तचाप सामान्य से बहुत कम होता है। यह भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि रक्त की कमी के कारण अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे शरीर में थकावट, चक्कर, और बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
लो BP के लक्षण: चक्कर आना या सिर घूमना, धुंधली दृष्टि, कमजोर और थका हुआ महसूस होना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मिचली या उल्टी का अहसास, बेहोश होने का डर, जल्दी थक जाना
3. उच्च रक्तचाप का कारण:
हाई BP के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आनुवंशिक कारण, अधिक नमक का सेवन, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव, शराब और तंबाकू का सेवन। लंबे समय तक उच्च रक्तचाप रहने से दिल और रक्त वाहिकाओं पर बुरा असर पड़ता है।
4. निम्न रक्तचाप का कारण:
लो BP का कारण डिहाइड्रेशन (जल की कमी), दिल की बीमारियां, रक्तस्राव, गंभीर संक्रमण या पोषण की कमी हो सकता है। यह उम्र बढ़ने, अत्यधिक गर्मी, या तनाव के कारण भी हो सकता है।
5. हाई BP के खतरे:
हाई BP गंभीर रूप से शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि दिल, किडनी, आंखें और मस्तिष्क। इससे स्ट्रोक, दिल का दौरा, और किडनी की विफलता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
6. लो BP के खतरे:
लो BP में शरीर के अंगों तक रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे शरीर में थकावट, सिरदर्द, और बेहोशी हो सकती है। अत्यधिक निम्न रक्तचाप जीवन के लिए खतरा बन सकता है, खासकर अगर यह बेहोशी या गंभीर रक्तस्राव का कारण बने।
7. उपचार और सावधानियां:
हाई BP के उपचार में दवाइयों, डाइट और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। नियमित रूप से रक्तचाप की जांच कराना और नमक का सेवन कम करना महत्वपूर्ण है। जबकि लो BP के उपचार में अधिक पानी पीने, नमक की उचित मात्रा लेने, और संतुलित आहार को बढ़ावा देने की आवश्यकता होती है। डॉक्टर से सलाह लेना और जरूरी दवाइयां लेना भी मददगार हो सकता है।
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