बड़ा बदलाव: पीजीटी के लिए बीएड अनिवार्य
अब तक प्रवक्ता (PGT) स्तर पर बीएड की डिग्री केवल कुछ विषयों में अनिवार्य थी, लेकिन अब इसे सभी विषयों के लिए आवश्यक बना दिया गया है। यानी, इंटरमीडिएट कक्षाओं (11वीं और 12वीं) के लिए शिक्षक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के पास अनिवार्य रूप से बीएड की डिग्री होनी चाहिए, और वह डिग्री एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) से मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त की गई होनी चाहिए।
टीजीटी के लिए भी तय की गई सख्त अर्हताएं
हाईस्कूल (कक्षा 9 और 10) के लिए 25 विषयों में सहायक अध्यापक (TGT) पद हेतु शैक्षिक अर्हताएं तय कर दी गई हैं। पहले कई विषयों में “अथवा” शब्द के साथ वैकल्पिक योग्यता दी जाती थी, जिससे अलग-अलग संस्थानों से ली गई डिग्रियों के आधार पर शिक्षक बनने का रास्ता खुला रहता था। अब इस विकल्प को समाप्त कर दिया गया है और केवल वही डिग्रियाँ मान्य होंगी जो विधि द्वारा स्थापित विश्वविद्यालयों या मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्राप्त हों।
संगीत जैसे विषयों में भी बदली व्यवस्था
विशेष रूप से संगीत विषय की बात करें तो पहले प्रयाग संगीत समिति, भातखंडे संगीत विद्यापीठ, गंधर्व महाविद्यालय जैसी संस्थाओं से ली गई परीक्षाएं सीधे मान्य होती थीं। अब इन परीक्षाओं के साथ एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि भी अनिवार्य कर दी गई है। यानी केवल संगीत विशारद या प्रभाकर की डिग्री से शिक्षक नहीं बना जा सकेगा, उसके साथ सामान्य स्नातक डिग्री भी जरूरी होगी।
डिग्रियों की गुणवत्ता पर भी दिया गया जोर
इस निर्णय के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि शिक्षकों की नियुक्ति केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के माध्यम से हो जो उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर चुके हों। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक न केवल विषय में दक्ष हों, बल्कि उनके पास शिक्षण की विधिवत ट्रेनिंग (बीएड) भी हो।
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