बिहार में भूमि सर्वेक्षण और स्वघोषणा अभियान: घर घर जाएंगे अधिकारी!

न्यूज डेस्क: बिहार सरकार भूमि सुधार और पारदर्शी भू-अभिलेख प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। राज्य में चल रहे युद्धस्तर के भूमि सर्वेक्षण अभियान के तहत अब अधिकारियों को घर-घर जाकर रैयतों से भूमि संबंधित स्वघोषणा और वंशावली लेने का निर्देश दिया गया है। यह पहल न केवल भूमि विवादों के समाधान में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों की नींव को भी मजबूत करेगी।

उद्देश्य और निर्देश

भूमि सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर रैयत (भूमि धारक) की भूमि का स्पष्ट रिकॉर्ड हो। इसके तहत: अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक रैयत के घर जाकर उनकी भूमि संबंधी स्वघोषणा लें। साथ ही, वंशावली (Family Tree) की जानकारी भी जुटाई जाए ताकि वारिसों के अधिकार स्पष्ट रहें। सभी अमीनों को एक सप्ताह के भीतर प्रपत्र-पाँच की एंट्री पूरी करने का सख्त निर्देश दिया गया है।

सर्वेक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्ती

बता दें की समीक्षा बैठकों में यह स्पष्ट किया गया है कि इस काम में किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी रजिस्टरों को सही तरीके से अपडेट और मेंटेन करने के निर्देश हैं ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की भ्रांतियों से बचा जा सके।

दस्तावेजों का डिजिटलीकरण

सरकार यह भी चाहती है कि रैयतों के पास जो भी भूमि से संबंधित दस्तावेज हैं, उन्हें या तो ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करें या फिर ऑफलाइन माध्यम से उपलब्ध कराएं। इससे सभी डेटा का डिजिटलीकरण हो सकेगा, जिससे आने वाले वर्षों में भू-अभिलेखों की खोज, जांच और संशोधन सरल और तेज़ हो जाएगा।

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