इसका मतलब यह है कि यदि किसी उपभोक्ता का बिजली बिल पहले 1000 रुपये आता था, तो अब उसे 12.40 रुपये अधिक देने होंगे। यह अधिभार जनवरी महीने के ईंधन और ऊर्जा खरीद लागत में हुए बदलाव को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है, जिसे अब अप्रैल के बिल में समायोजित किया जा रहा है।
राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने इस साल 8 जनवरी को बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन 2025 में तीसरे संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत 2029 तक हर महीने एफपीपीएएस लागू रहेगा, और उपभोक्ताओं को बिजली दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर भुगतना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की ओर से इसके लिए आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया गया है। बिजली बिल तैयार करने वाले सॉफ्टवेयर में आवश्यक बदलाव किए जा चुके हैं ताकि नया अधिभार स्वतः बिल में जुड़ जाए।
क्या है एफपीपीएएस?
एफपीपीएएस यानी फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज वह अधिभार है जो बिजली कंपनियां ईंधन और ऊर्जा खरीद की लागत में बढ़ोतरी की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से वसूलती हैं। पहले यह अधिभार वार्षिक या त्रैमासिक रूप से लिया जाता था, लेकिन अब इसे हर महीने लागू किया जाएगा।
अगले बिल में रखें खास ध्यान
अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं, तो अप्रैल से आपके बिजली बिल में हल्का इजाफा जरूर नजर आएगा। ध्यान दें कि यह वृद्धि मूल दरों में नहीं, बल्कि अधिभार के रूप में जोड़ी गई है, इसलिए उपभोक्ताओं को अतिरिक्त भुगतान के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए।
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