भारतीय वायुसेना की मौजूदा स्थिति
भारतीय वायुसेना वर्तमान में 31 फाइटर स्क्वाड्रन के साथ काम कर रही है, जबकि इसके लिए आदर्श स्थिति 42 स्क्वाड्रन की है। यह कमी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का कारण बन रही है, खासकर जब पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से दोतरफा खतरे का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि भारतीय वायुसेना की बढ़ी हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तेजस Mk-1A का ऑर्डर दिया गया है। इससे भारतीय वायुसेना को न केवल अपनी शक्ति बढ़ाने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह दूसरे देशों पर निर्भरता को भी कम करेगा।
तेजस Mk-1A: स्वदेशी शक्ति
तेजस Mk-1A एक आधुनिक, हल्का और अत्यधिक प्रभावी फाइटर विमान है, जिसे भारतीय विमान निर्माण कंपनी एचएएल (HAL) ने डिज़ाइन और विकसित किया है। यह विमान 4+ जनरेशन का लड़ाकू विमान है, जिसे विशेष रूप से भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। तेजस Mk-1A में कई उन्नत तकनीकी सुधार किए गए हैं, जो इसे बेहतर गति, युद्ध क्षमता और तकनीकी विशेषताओं में सबसे आगे रखते हैं।
2021 में रक्षा मंत्रालय ने कुल 83 तेजस Mk-1A विमानों का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 73 फाइटर विमान और 10 ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे। इस ऑर्डर का कुल मूल्य 48,000 करोड़ रुपये है, और इसकी डिलीवरी इसी साल से शुरू होने की उम्मीद है। अगले छह वर्षों में इन सभी विमानों की आपूर्ति की जाएगी, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इज़ाफा होगा।
तेजस Mk-1A की विशेषताएँ
1 .स्वदेशी तकनीक: तेजस Mk-1A पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित विमान है। इसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक का पूरा काम भारतीय रक्षा उद्योग ने किया है। यह विमान देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2 .अत्याधुनिक युद्धक क्षमताएँ: तेजस Mk-1A को उन्नत रडार, बेहतर एवियोनिक्स और आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस किया गया है। इसके अतिरिक्त, इसमें अधिकतम गति, बेहतर युद्धाभ्यास क्षमता और लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता है।
3 .आधुनिक संस्करण: तेजस Mk-1A के बाद तेजस Mk-2 का भी विकास हो रहा है, जो और भी ज्यादा मॉडिफाईड और उन्नत होगा। इसका उद्देश्य वायुसेना की रणनीतिक जरूरतों को और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करना है। तेजस Mk-2 में ज्यादा वजन उठाने की क्षमता, बेहतर इंजन और अन्य उन्नत तकनीकी सुधार होंगे।
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