एक रिपोर्ट के अनुसार चीन को वीटो पावर 1971 में मिली, जब उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता दी गई। इससे पहले, चीन का प्रतिनिधित्व ताइवान (चाइनीज़ गणराज्य) कर रहा था, लेकिन 1971 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 26वें सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया।
बता दें की संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस प्रस्ताव के माध्यम से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दी गई, और ताइवान को संयुक्त राष्ट्र से हटा दिया गया। तब से लेकर अबतक चीन के पास संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर की शक्ति हैं।
दरअसल चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने के लिए विभिन्न देशों के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे। इस प्रस्ताव के पास होने से, चीन को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता और वीटो पावर मिल गई।
यह परिवर्तन न केवल चीन के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण था। चीन की नई स्थिति ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और विश्व के राजनीतिक परिदृश्य पर इसका गहरा प्रभाव डाला। इसके बाद चीन विश्व में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरा।
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