भारत की परमाणु नीति क्या है? "नो फर्स्ट यूज"

न्यूज डेस्क: भारत ने 1998 में अपने परमाणु परीक्षण किए थे, और तब से उसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया है, क्योंकि इसे असमानता का प्रतीक मानता है। लेकिन भारत की परमाणु नीति का मूल सिद्धांत है, "नो फर्स्ट यूज" हैं।

भारत की परमाणु नीति क्या है? "नो फर्स्ट यूज"

पहला स्तंभ: परमाणु अस्थिरता। 

भारत ने परमाणु शस्त्रों के विकास को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक माना है, खासकर पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में। भारत का उद्देश्य एक संतुलित और स्थिर सुरक्षा वातावरण सुनिश्चित करना है।

दूसरा स्तंभ: नो-फर्स्ट-यूज़ नीति। 

भारत ने परमाणु हथियार को लेकर "नो-फर्स्ट-यूज़" नीति अपनाई है, इसका मतलब है कि भारत किसी दूसरे देश पर परमाणु हमला तभी करेगा, जब कोई देश भारत पर हमला करेगा। 

तीसरा स्तंभ: वैश्विक निरस्त्रीकरण। 

भारत वैश्विक स्तर पर परमाणु निरस्त्रीकरण का समर्थक है और यह मानता है कि सभी देशों को समान रूप से परमाणु हथियारों के विकास और उनके उपयोग के खिलाफ कदम उठाने चाहिए।

चौथा स्तंभ: जिम्मेदार परमाणु शक्ति। 

भारत ने "जिम्मेदार परमाणु शक्ति" के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जिसमें परमाणु हथियारों के सुरक्षा और निवारण के लिए कड़े उपाय किए जाते हैं।

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