खबर के अनुसार नाना की जमीन में नाती-नतनी का भी हिस्सा" का मतलब है कि परिवार में संपत्ति का अधिकार नाना के नातियों और नतिनियों को भी होता है। अगर नाना-नानी की मृत्यु हो जाती है और उन्होंने वसीयत नहीं लिखी है, तो उनकी संपत्ति उनके तत्काल वारिसों के बीच बांटी जाती हैं।
नाना-नानी की जमीन में नाती-नतनी का भी हिस्सा।
नाना की ज़मीन पैतृक हो तो पहले उनकी बेटी फिर नाती-नतनी का अधिकार होता हैं।
नाना ने वसीयत नहीं लिखी हो या वसीयत के मुताबिक ही संपत्ति का बंटवारा होना हो।
नाना की ज़मीन पर नाती-नतनी को हिस्सा पाने के लिए, वंशावली बनवानी होती है।
वंशावली में नाती-नतनी का नाम, उनकी मां का नाम, और उनका ब्योरा होना चाहिए।
अगर नाना की ज़मीन स्व-अर्जित है, तो नाती-नतनी को उस पर कोई अधिकार नहीं है।
इसके बाद, खतियानी और बैनामा ममहति संपत्ति में हक के लिए आवेदन देकर, जमाबंदी करानी होती है।
कानून के मुताबिक नाना की संपत्ति में नाती-नातिन का अधिकार तभी होता है जब उनके नाना के बच्चे न हो या जीवित न हों।

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