निर्माण के लिए बजट और दिशा-निर्देश
सरकार ने इन केंद्रों के निर्माण के लिए 56.04 करोड़ रुपये जारी किए हैं। पशुधन विभाग को केंद्रों का निर्माण जल्दी शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। यूपी सरकार पहले कार्यकाल से ही गो संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है और अब तक राज्य में 7,700 से अधिक गो आश्रय स्थल स्थापित किए जा चुके हैं। इन आश्रय स्थलों में लगभग 12.50 लाख निराश्रित गोवंश सुरक्षित रूप से रखे गए हैं।
इस वित्तीय वर्ष में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वृहद गो आश्रय केंद्रों की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस साल अब तक 560 वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से 403 का निर्माण पूरा हो चुका है और 387 का संचालन भी शुरू हो चुका है।
निर्माण किए जाने वाले जिलों और स्थानों की जानकारी
नए गो संरक्षण केंद्रों का निर्माण निम्नलिखित जिलों में किया जाएगा:
अयोध्या: मऊ
झांसी: सुकवा-2
हापुड़: शेखपुर
बुलंदशहर: कोंदू
जालौन: न्यामतपुर
बाराबंकी: भिटौलीखास
देवरिया: सेमारी, गाजे
गोरखपुर: हरिहरपुर
मथुरा: बढ़ौता-7, बढ़ौता-8
अमेठी: दक्खिनपुर, कठौरा
रायबरेली: विनायकपुर, बन्नावा
ललितपुर: भौरसिल-2, पिपरिया
शाहजहांपुर: मुड़ीगवां, रावतपरु, खुलौली, धनरी, दसिया
बहराइच: झाला तरहर-2, झाला तरहर-3, सेमरहना-2
हरदोई: तेंदुआ, भाहपुर, बालामऊ, गुजराई, मदारपुर
सीतापुर: रायसेनपुर, पारा प्रथम, पारा द्वितीय, पारा-2
लाभ और महत्व
इन केंद्रों के निर्माण से गोवंश को सुरक्षित और संरक्षित वातावरण मिलेगा। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में खुली गायों के कारण सड़क दुर्घटनाओं और फसल नुकसान जैसी समस्याएं भी कम होंगी। केंद्रों के आसपास रोजगार और व्यवसाय के अवसर भी उत्पन्न होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
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