किसानों की परेशानी पर तय होगी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि यदि किसी किसान को खाद के लिए भटकना पड़ा या उसे किसी प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ी, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी तय की जाएगी। दोषी चाहे अधिकारी हो, कर्मचारी हो या व्यापारी, किसी को भी संरक्षण नहीं मिलेगा। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि अन्नदाता के हित सर्वोपरि हैं और उनसे समझौता नहीं किया जाएगा।
खाद व्यवस्था की रोजाना होगी समीक्षा
मंगलवार को कृषि मंत्री और सहकारिता मंत्री की मौजूदगी में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने खाद की उपलब्धता और वितरण प्रणाली की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि कृषि और सहकारिता मंत्री प्रतिदिन खाद की स्थिति की निगरानी करें। साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय से सभी जिलों की सीधी मॉनिटरिंग की जाएगी।
डीएम-एसडीएम को भी मिला निर्देश
सीएम योगी ने जिलाधिकारियों, अपर जिलाधिकारियों और उप जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वे खाद की दुकानों और सहकारी समितियों का औचक निरीक्षण करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि: खाद की ओवररेटिंग किसी भी स्थिति में न हो, सहकारी समितियां तय समय पर अनिवार्य रूप से खुली रहें, यूरिया, डीएपी और पोटाश केवल सरकारी दरों पर ही बेची जाए, जहां भी गड़बड़ी मिले, वहां तुरंत कार्रवाई कर जिम्मेदारी तय की जाए।
मिलीभगत पर होगी विजिलेंस जांच
मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि फील्ड में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाएगी। यदि कहीं भी मिलीभगत या लापरवाही सामने आती है, तो खुली विजिलेंस जांच कराई जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि खाद संकट पैदा करने वालों या कृत्रिम अभाव दिखाने वालों के लिए प्रदेश में कोई जगह नहीं है।
प्रदेश में खाद की पर्याप्त उपलब्धता
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि 16 दिसंबर 2025 तक प्रदेश में खाद की स्थिति संतोषजनक है।
यूरिया: 9.57 लाख मीट्रिक टन
डीएपी: 3.77 लाख मीट्रिक टन
एनपीके: 3.67 लाख मीट्रिक टन
यूरिया की उपलब्धता में सहकारी क्षेत्र में 3.79 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र में 5.78 लाख मीट्रिक टन शामिल है। डीएपी और एनपीके भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

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