बिहार में "जमीन मालिकों" को बड़ी खुशखबरी, सरकार ने दी राहत!

पटना। बिहार के रैयतों और जमीन मालिकों के लिए राहत भरी खबर है। जमीन से जुड़े कागजातों में त्रुटियों को ठीक कराने के लिए अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राज्य सरकार ने भूमि अभिलेखों में सुधार की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन, समयबद्ध और पारदर्शी बना दिया है। इससे आम लोगों को होने वाली परेशानी और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।

खत्म होगी दफ्तरों की दौड़

अब तक जमाबंदी, रैयत का नाम, पिता का नाम, खाता, खेसरा, लगान या छूटी हुई जमाबंदी जैसी समस्याओं के लिए किसानों और जमीन मालिकों को अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। कई बार कर्मचारियों की मनमानी और अवैध वसूली की शिकायतें भी सामने आती थीं। नई व्यवस्था के लागू होने से यह परेशानी अब इतिहास बनने वाली है।

परिमार्जन प्लस पोर्टल से मिलेगा समाधान

नीतीश सरकार ने नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए परिमार्जन प्लस पोर्टल के माध्यम से भूमि अभिलेखों में सुधार की प्रक्रिया शुरू की है। इस पोर्टल के जरिए जमीन से जुड़े दस्तावेजों में दर्ज गलतियों को ऑनलाइन सुधारा जा सकेगा। इसमें रैयत का नाम, पिता का नाम, खाता संख्या, खेसरा, रकबा और लगान जैसी त्रुटियों के साथ-साथ छूटी हुई जमाबंदी को भी ऑनलाइन जोड़ा जाएगा।

तय की गई समय-सीमा

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हर तरह की समस्या के निपटारे के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित कर दी है

लिपिकीय या टंकण त्रुटि: 15 दिनों के भीतर सुधार

सामान्य त्रुटि सुधार: 35 दिनों के अंदर

छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करना: अधिकतम 75 दिन

भू-मापी से जुड़े मामले: 75 दिनों में निपटारा

सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी मामलों का निष्पादन निर्धारित समय के भीतर हर हाल में किया जाए।

लापरवाही पर होगी कार्रवाई

भूमि सुधार विभाग के मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि यदि किसी मामले में अनावश्यक देरी या लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। इससे व्यवस्था में जवाबदेही बढ़ेगी।

कैसे करें आवेदन

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए रैयतों को अपने मोबाइल या कंप्यूटर से बिहार भूमि पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके अलावा शिकायत या सुझाव के लिए टॉल फ्री नंबर 18003456215 पर संपर्क किया जा सकता है। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है।

विवादों में आएगी कमी

सरकार का मानना है कि भूमि अभिलेखों में सुधार की यह नई प्रणाली न सिर्फ जमीन से जुड़े विवादों को कम करेगी, बल्कि रैयतों को उनके अधिकार भी आसानी से दिलाएगी। कुल मिलाकर यह पहल बिहार में भूमि सुधार की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक कदम मानी जा रही है।

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