300 उत्पादों के लिए तैयार रणनीति
भारत ने रूस के बाजार में निर्यात के लिए 300 उत्पादों की पहचान की है। इन उत्पादों में इंजीनियरिंग सामान, दवाइयां, रसायन और कृषि उत्पाद शामिल हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह पहल भारत और रूस के बीच 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने का हिस्सा है।
निर्यात से व्यापार घाटा कम होगा
अधिकारी ने बताया कि निर्यात बढ़ने से भारत और रूस के बीच 59 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। इस कदम से ट्रंप की चिंता भी बढ़ सकती है, क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया हुआ है। भारत अब रूस जैसे अन्य बाजारों की तलाश में है, जिससे अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम हो सके।
रूस से आयात में आई तेजी
रूस से भारत का आयात पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। 2020 में यह 5.94 अरब डॉलर था, जो 2024 में 64.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण कच्चा तेल है, जो 2 अरब डॉलर से बढ़कर 57 अरब डॉलर हो गया। भारत अब अपने कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 21% रूस से ही करता है। इसके अलावा, रूस से उर्वरक और वनस्पति तेल का भी भारी आयात होता है।
निर्यात के प्रमुख अवसर
कृषि उत्पाद: भारत 452 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस की कुल आयात मांग 3.9 अरब डॉलर है।
इंजीनियरिंग सामान: भारत का निर्यात 90 मिलियन डॉलर है, रूस का आयात 2.7 अरब डॉलर।
रसायन और प्लास्टिक: भारत 135 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, रूस का आयात 2.06 अरब डॉलर।
फार्मा उत्पाद: भारत 546 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस का आयात 9.7 अरब डॉलर।

0 comments:
Post a Comment