भारत के लिए रूस ने कब-कब किया वीटो पावर का इस्तेमाल

नई दिल्ली : रूस-यूक्रेस का युद्ध जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा हैं। वैसे-वैसे रूस पूरी दुनिया में अकेला पड़ता जा रहा हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी रूस के खिलाफ कई सारे प्रस्ताव लाये जा रहे हैं। लेकिन भारत आज भी रूस के खिलाफ नहीं गया हैं और ना ही कभी रूस के खिलाफ वोटिंग किया हैं। 

जानकार बताते हैं की भारत और रूस  की दोस्ती इतनी गहरी हैं की भारत कभी भी रूस के खिलाफ नहीं जा सकता हैं। भारत को जब-जब रूस की ज़रूरत हुई हैं, रूस हर कदम में भारत का साथ दिया हैं। रूस ने संयुक्त राष्ट्र में भी भारत के लिए कई बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया हैं। 

वीटो पावर क्या हैं : संयुक्त राष्ट्र में किसी देश के खिलाफ अगर कोई प्रस्ताव पास हुआ हो। लेकिन वीटो पावर वाले देश उसके खिलाफ हो तो अपनी पॉवर का इस्तेमाल करके उस प्रस्ताव को नकार सकते है। वर्तमान में चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास वीटो पावर हैं।

भारत के लिए रूस ने कब-कब किया वीटो पावर का इस्तेमाल?

1957 में रूस ने भारत के पक्ष में किया वीटो पावर का इस्तेमाल : दरअसल यूएसएसआर यानि की आज का रूस ने पहली बार 1957 में कश्मीर मुद्दे पर भारत के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। 

1961 में रूस ने भारत के पक्ष में किया वीटो पावर का इस्तेमाल : साल 1961 में पुर्तगाल ने गोवा के संबंध में UNSC को एक प्रस्ताव लाया था। लेकिन रूस ने वीटो पवार का इस्तेमाल करते हुए इस प्रस्ताव को नकार दिया। इसके बाद गोवा आजाद हुआ और भारत का अंग बना।

1962 में रूस ने भारत के पक्ष में किया वीटो पावर का इस्तेमाल : साल 1962 में कश्मीर मुद्दे को लेकर लाये गए प्रस्ताव के खिलाफ रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है और दोनों देशों को सीधे बातचीत करने का आग्रह किया।

1971 में रूस ने भारत के पक्ष में किया वीटो पावर का इस्तेमाल : साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया गया। लेकिन यूएसएसआर यानि की रूस ने इस बार भी भारत के लिए वीटो पवार का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को नकार दिया।

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