आयोग का गठन और इसकी भूमिका
उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने 20 जून 2025 को इस आयोग के गठन पर मुहर लगाई। आयोग का मुख्य उद्देश्य पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था करना है। आयोग विभिन्न जिलों और पंचायतों में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और स्थानीय प्रतिनिधित्व की स्थिति का विश्लेषण करेगा, और उसी के आधार पर आरक्षण की संस्तुति राज्य सरकार को देगा।
यह पूरी प्रक्रिया आयोग की निगरानी में होगी, जिससे आरक्षण निर्धारण में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। इससे न केवल सामाजिक न्याय को बल मिलेगा, बल्कि चुनावों में किसी तरह की कानूनी या राजनीतिक अड़चनों की संभावना भी कम हो जाएगी।
क्यों जरूरी था आयोग का गठन?
पिछले नगर निकाय चुनावों में आयोग के अभाव में सरकार को चुनाव स्थगित करने पड़े थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए "त्रिस्तरीय परीक्षण" अनिवार्य है: जनगणना आधारित डेटा, प्रतिनिधित्व की कमी का आकलन, और आरक्षण की सीमा 50% से अधिक न हो। इन तीनों बिंदुओं पर संतुलन बनाने के लिए आयोग की आवश्यकता होती है। पिछली बार आयोग के गठन के बाद ही निकाय चुनाव संपन्न हो सके थे।
पंचायत चुनाव 2026 में आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया
आयोग सर्वेक्षण करेगा – पंचायत स्तर पर OBC जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और प्रतिनिधित्व की समीक्षा की जाएगी।
रिपोर्ट तैयार की जाएगी – आयोग अपनी सिफारिश राज्य सरकार को सौंपेगा।
राज्य सरकार सीटवार आरक्षण तय करेगी – आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत स्तर पर पदों के लिए आरक्षण तय किया जाएगा।
सूची सार्वजनिक की जाएगी – आरक्षण सूची चुनाव आयोग के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी।
0 comments:
Post a Comment