पिछड़ा वर्ग आयोग की भूमिका
यह आयोग पंचायत चुनावों में OBC के लिए आरक्षण तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। आयोग राज्य भर में सामाजिक और जनसांख्यिकीय आंकड़ों का विश्लेषण कर यह संस्तुति देगा कि किन पंचायत क्षेत्रों में OBC उम्मीदवारों को आरक्षण मिलना चाहिए। इसके बाद सरकार इन सिफारिशों के आधार पर चुनाव में आरक्षित सीटों की अधिसूचना जारी करेगी। यह पूरी प्रक्रिया उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप होगी, जिससे आरक्षण व्यवस्था पारदर्शी रहे और किसी भी प्रकार की कानूनी बाधा उत्पन्न न हो।
पिछली चूक से सबक
नगर निकाय चुनाव के दौरान पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में देरी के कारण चुनावों को स्थगित करना पड़ा था। इससे सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इस बार पंचायत चुनावों को लेकर कोई जोखिम न लेते हुए समय रहते आयोग गठन को मंजूरी दे दी गई है।
चुनावी सरगर्मियां और शिकायतों की बाढ़
चुनाव भले ही छह महीने दूर हों, लेकिन गांवों में माहौल पहले से गर्म हो चुका है। संभावित उम्मीदवारों ने विकास कार्यों में अनियमितताओं को लेकर शिकायतों की झड़ी लगा दी है। खासकर बागपत जैसे जिलों में रोजाना 10 से 15 शिकायतें विकास भवन पहुंच रही हैं।
मौजूदा ग्राम प्रधानों पर भ्रष्टाचार, पक्षपात, और योजनाओं में धांधली के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे कई बार राजनीतिक मंशाएं भी जुड़ी होती हैं, क्योंकि ये शिकायतें अधिकतर संभावित प्रत्याशियों की ओर से आती हैं जो खुद चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
आरक्षण को लेकर दावेदारों में बेचैनी
एससी, ओबीसी, सामान्य वर्ग और महिला आरक्षण को लेकर दावेदारों में असमंजस और बेचैनी का माहौल है। हर कोई अपनी संभावनाओं का गणित लगाने में जुटा है कि उनकी पसंदीदा सीट किस वर्ग के लिए आरक्षित होगी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने अभी से आरक्षण की दिशा भांपने के लिए आयोग की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है।
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