आरक्षण में बदलाव क्यों?
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, हर दो आम पंचायत चुनावों के बाद आरक्षण की समीक्षा की जाती है और आवश्यकतानुसार उसमें बदलाव किया जाता है। इसी क्रम में, 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों में नया आरक्षण चक्र प्रभाव में लाया जाएगा।
एक परिवाद पत्र से उठा मुद्दा
यह आदेश सीवान जिले के पटेढ़ा पंचायत के निवासी विकास कुमार चौरसिया द्वारा भेजे गए एक परिवाद पत्र के संदर्भ में जारी किया गया। श्री चौरसिया ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि पटेढ़ा पंचायत में अत्यंत पिछड़ी जातियों की जनसंख्या अधिक है, इसलिए पंचायत के मुखिया और सरपंच पद को उनके लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।आयोग ने उनके आवेदन पर विचार करते हुए स्पष्ट किया कि पंचायत चुनावों में आरक्षण का निर्धारण, संबंधित पंचायत समिति क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अत्यंत पिछड़े वर्गों की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर ही किया जाता है।
आरक्षण की सीमाएं और व्यवस्था
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि पंचायतों में मुखिया पद के लिए आरक्षण कुल पदों के 50 प्रतिशत तक ही सीमित रहेगा। आरक्षण का अनुपात यथासंभव इस सीमा के निकटतम रखा जाएगा, लेकिन इसे 50% से अधिक नहीं किया जा सकता। यह निर्णय न केवल सामाजिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा, बल्कि पंचायतों में हाशिए पर खड़े वर्गों को भी निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर देगा।
पिछले आरक्षण चक्र की स्थिति
गौरतलब है कि वर्ष 2006 और 2011 में हुए पंचायत चुनाव एक ही आरक्षण चक्र के अंतर्गत कराए गए थे। लेकिन अब आयोग ने वर्ष 2026 के चुनावों में नई समीक्षा के आधार पर आरक्षण में बदलाव की पुष्टि की है। जिससे कई पंचायतो की स्थिति बदल सकती हैं।
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