बिहार में जमीनों की रजिस्ट्री को लेकर नई नीति लागू

पटना। बिहार सरकार ने भूमि रजिस्ट्री से जुड़े हजारों लंबित मामलों के समाधान की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हाल ही में एक परिपत्र जारी कर नई नीति लागू की है, जिसका मकसद ‘रोक सूची’ में दर्ज भूमि से संबंधित आवेदनों का तेजी से निपटारा करना है। इस कदम का सीधा लाभ राज्य के लाखों भूमि मालिकों को मिलेगा, जिनकी जमीनें तकनीकी या प्रशासनिक कारणों से रजिस्ट्री योग्य नहीं थीं।

क्या है 'रोक सूची'?

‘रोक सूची’ में वे जमीनें शामिल होती हैं जिन पर किसी कारणवश रजिस्ट्री या अन्य दस्तावेजी कार्यवाही अस्थायी रूप से रोकी जाती है। इसके अंतर्गत आमतौर पर वे प्लॉट आते हैं जिनसे जुड़े विवाद न्यायालय में लंबित हैं, या जिन पर सरकारी स्वामित्व, अतिक्रमण, भूमि अधिग्रहण अथवा अन्य कानूनी अड़चनें हैं।

नई नीति की मुख्य बातें:

1 .हर महीने होगी समीक्षा बैठक:

अब प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी (DM) की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक प्रत्येक माह अनिवार्य रूप से आयोजित की जाएगी। इस बैठक में यह तय किया जाएगा कि कौन-सी भूमि को रोक सूची में रखा जाए और किसे हटाया जाए।

2 .आवेदनों की गहन जांच के निर्देश:

सभी जिलाधिकारी सह-जिला निबंधकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे रोक सूची से नाम हटाने या नये नाम/प्लॉट जोड़ने के लिए प्राप्त आवेदनों की पूर्व विभागीय आदेशों एवं न्यायालय के निर्देशों के आलोक में गहन जांच करें।

3 .सभी रजिस्ट्री कार्यालयों को सूचना:

इस आदेश की प्रति सहायक निबंधकों, अवर निबंधकों और महानिरीक्षकों को भी भेजी गई है ताकि वे अपने स्तर से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कर सकें।

4 .राजस्व में वृद्धि की संभावना:

रोक सूची से वैध रूप से भूमि को बाहर करने और रजिस्ट्री को मंजूरी देने से राज्य सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। साथ ही, अवैध लेन-देन और भू-माफियाओं की गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी।

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