भारत की हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल: रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति

नई दिल्ली। भारत अपनी रक्षा क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल के विकास में तेजी से आगे बढ़ रहा है। डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) के प्रमुख डॉ. जी. श्रीकांत कामत ने पुष्टि की है कि भारत जल्द ही हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल से लैस हो जाएगा, जो देश की सामरिक ताकत को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल क्या है?

हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल एक अत्यंत उन्नत हथियार प्रणाली है, जो पारंपरिक मिसाइलों से कई गुना तेज गति से उड़ान भरती है। यह मिसाइल 5 मैक से अधिक की गति (लगभग 6,000 किलोमीटर प्रति घंटा से भी तेज) से हवाई पथ में चलती है और अत्यंत सटीकता से लक्ष्य को निशाना बनाती है। इसकी गति और उड़ान की अनियमितता की वजह से इसे पकड़ना और नष्ट करना बेहद कठिन होता है, जिससे यह युद्ध रणनीति में एक गेम-चेंजर साबित होती है।

भारत की उपलब्धियाँ और परीक्षण

डीआरडीओ ने पिछले साल ओडिशा के तट से दूर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत की तकनीकी योग्यता और सैन्य क्षमता का प्रमाण था। डॉ. कामत ने बताया कि परीक्षण चरण अभी जारी है और मिसाइल का विकास काफी उन्नत स्तर पर पहुंच चुका है।

विकास और भविष्य की योजना

डीआरडीओ प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि भारत हाइपरसोनिक मिसाइल के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर किसी से पीछे नहीं है। वर्तमान में, भारत हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों पर काम कर रहा है, जो हाइपरसोनिक गति से लगातार उड़ान भर सकेंगी। यह मिसाइलें न केवल तेज हैं, बल्कि उनकी मार्गदर्शन प्रणाली भी अत्यंत सटीक होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि अगले दो से तीन वर्षों के भीतर भारत के पास पूरी तरह से विकसित और तैनात हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल प्रणाली होगी। यह मिसाइल रक्षा के क्षेत्र में भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थिति प्रदान करेगी और देश की सुरक्षा क्षमताओं को व्यापक रूप से बढ़ाएगी।

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