यूपी में लेखपाल और चकबंदी अधिकारी पर कार्रवाई

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए दो राजस्व अधिकारियों के खिलाफ बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। भू-माफियाओं से मिलीभगत और सरकारी भूमि की रक्षा में विफल रहने के आरोपों के चलते चकबंदी अधिकारी अरविंद कुमार पांडेय और चकबंदी लेखपाल संदीप कुमार यादव को गुरुवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

अरविंद कुमार पांडेय पर गंभीर आरोप

चकबंदी अधिकारी अरविंद पांडेय, जो वर्तमान में लखनऊ के तहसीलदार के रूप में तैनात हैं, पर आरोप है कि उन्होंने ग्राम बेहसा, परगना बिजनौर, तहसील सरोजनीनगर, लखनऊ की खसरा संख्या-1418, 1422 तथा नवीन परती भूमि (खसरा संख्या-1418) पर हो रहे अतिक्रमण की अनदेखी की। उन्होंने न सिर्फ सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटवाने में लापरवाही बरती बल्कि शासन द्वारा दिए गए निर्देशों की भी अवहेलना की। विभागीय जांच में उनकी सत्यनिष्ठा पर सवाल खड़े हुए, जिसके चलते चकबंदी आयुक्त भानुचंद गोस्वामी ने उनके निलंबन का आदेश जारी किया। जांच अधिकारी के रूप में बाराबंकी के उपसंचालक चकबंदी को नियुक्त किया गया है।

संदीप कुमार यादव पर भी शिकंजा

वहीं मीरजापुर से चकबंदी लेखपाल के रूप में संबद्ध संदीप कुमार यादव, जो वर्तमान में लखनऊ नगर निगम में कार्यरत हैं, पर भी लखनऊ के सरोजनीनगर क्षेत्र में खसरा संख्या-1418, 1421 व 1422 की जमीन पर अवैध कब्जा कराने के गंभीर आरोप हैं। उन्होंने भू-माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और नगर निगम की भूमि की खरीद-फरोख्त में उनकी संलिप्तता सामने आई है। मंडलायुक्त रौशन जैकब ने 19 जून 2025 को लिखे पत्र में उन्हें "स्वेच्छाचारी" करार देते हुए, सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण कराने तथा भू-माफियाओं से सांठगांठ रखने वाला कर्मचारी बताया। इन सबके आधार पर संदीप यादव को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

सरकार का संदेश साफ: भ्रष्टाचार पर नहीं होगी ढील

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार, लापरवाही और भू-माफियाओं से मिलीभगत को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि ऐसे मामलों में उच्चस्तरीय जांच के बाद कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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