'धनुष' की तीसरी गूंज: भारत के दुश्मनों की बढ़ी चिंता

नई दिल्ली। भारतीय सेना की आर्टिलरी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। स्वदेशी रूप से विकसित तोप प्रणाली ‘धनुष’ की तीसरी रेजीमेंट की प्रक्रिया अब शुरू कर दी गई है। यह पहल न सिर्फ सेना की युद्ध क्षमता में अहम इजाफा करेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) अभियान को भी नई रफ्तार देगी।

क्या है 'धनुष'?

‘धनुष’ एक 155 मिमी/45 कैलिबर की अत्याधुनिक टोइड आर्टिलरी गन है, जिसे बोफोर्स गन के एडवांस वर्जन के रूप में तैयार किया गया है। इसकी मारक क्षमता 36 से 38 किलोमीटर तक है और यह हर मौसम और हर भू-भाग में प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम है। इसे जबलपुर स्थित एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) द्वारा निर्मित किया जा रहा है। धनुष तोप का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि इसमें 80% से अधिक हिस्से स्वदेशी हैं, जिससे यह भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक मजबूत प्रतीक बन चुका है।

तीसरी रेजीमेंट की प्रक्रिया में तेजी

सेना ने हाल ही में दूसरी धनुष रेजीमेंट का गठन पूरा कर लिया है और अब तीसरी रेजीमेंट के लिए कुछ गन सिस्टम मिल चुके हैं। हर रेजीमेंट में 18 तोपें होती हैं और कुल 114 धनुष तोपों की आपूर्ति मार्च 2026 तक पूरी की जानी है। इससे स्पष्ट है कि भारत की तोपखाना रणनीति अब पूरी तरह 155 मिमी कैलिबर के ओर केंद्रित होती जा रही है।

धनुष की तकनीकी खूबियां क्या हैं?

धनुष को आधुनिक तकनीक से लैस किया गया है, इसमें GPS आधारित फायरिंग कंट्रोल सिस्टम, ऑनबोर्ड बैलिस्टिक कंप्यूटर, थर्मल इमेजिंग, लेजर रेंज फाइंडर और कैमरा से सुसज्जित किया गया हैं। साथ ही इसमें मजल वेलोसिटी रिकॉर्डर, स्वचालित गन साइटिंग प्रणाली मौजूद हैं। इन खूबियों के चलते धनुष दुश्मन के ठिकानों पर दिन-रात, किसी भी स्थिति में सटीक प्रहार करने में सक्षम है।

भविष्य की दिशा: साल 2040 का लक्ष्य

भारतीय सेना का लक्ष्य है कि साल 2040 तक सभी तोपें 155 मिमी कैलिबर की हों। इसका मतलब होगा अधिक घातक क्षमता, बेहतर रेंज और अधिक प्रभावी युद्ध रणनीति। धनुष जैसी तोपें इस लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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